भोपाल । आयकर विभाग 10 वर्ष पुराने लेन-देन पर जांच कर सकता है। आयकर अधिनियम में हुए संशोधनों के बाद अब ऐसे खाताधारकों की मुश्किलें बढ़ चुकी है, जिन्होंने टैक्स चोरी की है। आयकर विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कई ऐसे संदिग्ध खाते हैं, जिनकी जांच की जा सकती है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि पुराने मामलों में टैक्स चोरी और वित्तीय अनियमितता के मामलों में विभाग शीघ्र ही 10 वर्ष पुराने लेन-देन की जांच कर सकता है। गौरतलब है कि इससे पहले आयकर विभाग के पास अधिकतम छह वर्ष तक जाचं करने का अधिकार था, इसे वर्तमान में तीन वर्ष कर दिया गया है। अब विशेष परिस्थिति में 10 वर्ष पुराने लेनदेन पर आयकर विभाग जांच कर सकता है। बताया जा रहा है कि फाइनेंस बिल 2022 में यह बदलाव किया गया है।

इस परिस्थिति में हो सकती है जांच
नियमों में किए गए बदलाव के अनुसार अगर करदाता ने 50 लाख या उससे ज्यादा की आय छिपाई है तो आयकर अधिकारी उसके खातों की 10 वर्षों की जांच कर सकता है। यह करदाता की संपत्ति के अलावा उसके द्वारा किया गया लेन-देन भी हो सकती है और उसके खातों की जांच होगी। छिपाई हुई संपत्ति सोना-चांदी या नकद या शेयर भी हो सकता है। करदाताओं को हमेशा ही अपने आय के स्रोत की जानकारी होनी चाहिए। अगर आय के स्रोत की जानकारी नहीं है, उस स्थिति में भी करदाताओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। स्रोत की जानकारी नहीं होने पर टैक्स के साथ ही जेल भी जाना पड़ सकता है।

खर्चों का हिसाब बही-खाते में दर्ज करें
कर विशेषज्ञों ने बताया कि इस प्रकार की जांच से बचने के लिए करदाताओं को चाहिए कि घर में शादी या अन्य उत्सव में होने वाले खर्चों का हिसाब भी अपने बही खाते में दर्ज करें। ऐसा न करने पर आयकर विभाग द्वारा 77.25 फीसदी टैक्स वसूल सकती है।

सामान्य रूप से तीन वर्ष की ही जांच
किसी भी करदाता ने किसी वर्ष के कर निर्धारण के बाद आयकर अधिकारी को यह विश्वास होता है कि करदाता ने आय छिपाई है तो आयकर अधिकारी नोटिस भिजवा सकता है। साथ ही कर निर्धारण वर्ष की समाप्ति के तीन वर्ष से ज्यादा के खातों की जांच नहीं हो सकती। 10 वर्ष के खातों के खातों की जांच का नियम विशेष परिस्थिति में लागू होता है। आयकर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष चेतन तारवानी ने कहा, फाइनेंस बिल 2022 में यह बदलाव किया गया है। इसके अनुसार करदाता अगर 50 लाख या उससे ज्यादा की आय छिपाता है तो आयकर अधिकारी उसके खातों की 10 वर्षों की जांच कर सकता है। सभी करदाताओं को अपना टैक्स पूरी ईमानदारी से भरना चाहिए।