फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

दोस्तों मेरा मानना है कि सफलता का रास्ता असफलता से ही होता हुआ जाता है अर्थात् असफलता, सफलता की पहली सीढ़ी है। वैसे, मैं आपको कोई नई बात नहीं बता रहा हूँ, हम सभी ने कभी ना कभी, किसी ना किसी से यह कहा या सुना है। लेकिन इसके बाद भी दोस्तों हम में से ज़्यादातर लोग जीवन में मिलने वाली छोटी-मोटी असफलता से विचलित हो जाते हैं और परमात्मा के बनाए उस नियम को भूल जाते हैं जो सृष्टि के सभी प्राणी मानते हैं। आप सोच रहे होंगे कि क्या ऐसा भी कोई नियम है? चलिए उस बारे में चर्चा करने के पूर्व हम विभिन्न प्राणियों के बारे में कुछ तथ्यों को जान लेते हैं -

जंगल का राज शेर शिकार करते समय मात्र एक चौथाई बार सफल होता है। इसका अर्थ हुआ अगर वह शिकार करने के सौ प्रयास करेगा तो उसे 75 बार असफलता और मात्र 25 बार सफलता मिलेगी। वैसे अधिकांश शिकार करने वाले प्राणियों के बीच शिकार करने में सफल होने की दर यही है। दोस्तों सफलता की दर इतनी कम होने के बाद भी वे शिकार करने के प्रयास में अपनी ओर से कोई कमी नहीं छोड़ते हैं, अर्थात् असफलता हाथ लगने पर वे नया शिकार खोजना बंद करके, निराश होकर नहीं बैठ जाते हैं। वे तो बस पुराने परिणामों को भूलकर, अपनी ओर से हर बार पूरी क्षमता के साथ प्रयास करते हैं।

शायद आप सोच रहे होंगे कि इसमें नई या ख़ास बात क्या है, यह तो एकदम सामान्य प्रक्रिया है। वे अपनी भूख मिटाने के लिए ऐसा करते होंगे। तो मैं आपको बता दूँ साथियों कि वे ऐसा भूख की वजह से नहीं बल्कि ‘लॉ ऑफ़ वेस्टेड एफ़र्ट्स’, जिसे हम हिंदी में ‘व्यर्थ प्रयासों का क़ानून’ कह सकते हैं, कि समझ से करते हैं। यह क़ानून सहज रूप से जानवरों द्वारा बनाया गया है और प्रकृति द्वारा शासित होता है या चलाया जाता है। यह मैं नहीं कह रहा हूँ दोस्तों बल्कि यह एक वैज्ञानिक तथ्य है।

आप इसे अन्य उदाहरणों से भी समझ सकते हैं। मछलियों के आधे अंडे खा लिए जाते हैं, भालू के आधे बच्चे बड़े होने के पहले ही मारे जाते हैं, दुनिया की ज़्यादातर बारिश समुद्रों में होती है और पेड़ों के ज़्यादातर बीज पक्षियों द्वारा खाए जाते हैं। इन सब के बाद भी दोस्तों मछलियाँ और भालू अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं, बारिश का अधिकतर पानी समुद्र में व्यर्थ जाने के बाद भी हम सभी के लिए पीने का पानी उपलब्ध है और जंगलों का अस्तित्व भी बरकरार है।

वैज्ञानिकों द्वारा की गई रिसर्च के परिणाम बताते हैं कि इंसानों से ज़्यादा जानवर, पेड़ और प्रकृति ‘लॉ ऑफ़ वेस्टेड एफ़र्ट्स’ अर्थात् ‘व्यर्थ प्रयासों के क़ानून’  के प्रति अधिक ग्रहणशील हैं। जी हाँ साथियों, सिर्फ़ हम अर्थात् इंसान ही सोचता है कि चंद प्रयासों में सफल ना हो पाना ही असफलता है। लेकिन सच्चाई इसके उलट है, चंद प्रयासों में मिली असफलता हमें असफल नहीं बनाती। हम असफल तब होते हैं जब हम प्रयास करना बंद कर देते हैं।

इसीलिए हमें अलग-अलग तरीक़े से समझाने के लिए कहा गया है, ‘कोशिश करो, कोशिश करो, अंत में आप सफल होगे।’ या ‘असफल होने से डरने के स्थान पर कोशिश ना करने से डरें’ या फिर ‘असफलता सफलता के विपरीत नहीं होती, वह तो बस उसका हिस्सा है।’ इसीलिए दोस्तों मैं अपने व्यक्तिगत जीवन में असफलता को सीखने की अवस्था के रूप में देखता हूँ और असफलता से निराश होने के स्थान पर, उससे सीख लेकर कि क्या करना है और क्या नहीं, एक और प्रयास करता हूँ और अंत में सफल हो जाता हूँ। वैसे भी साथियों असफलता से सीखना, आपको उसी कार्य को नए तरीके से करने का विचार और अधिकार देता है। साथ ही जब आप असफलता से सीखते हैं तो वह आपको निराशा नहीं बल्कि आशा देकर ऊर्जावान बनाता है।

जी हाँ साथियों, सफलता का मतलब यह नहीं है कि आपको जीवन में चुनौतियाँ, असफलता या परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा, आपका जीवन इन सभी से मुक्त होगा। बल्कि सफलता अपनी असफलताओं और कितने प्रयास बर्बाद हो गए यह भूलकर, अपनी ग़लतियों से सीखने और नई ऊर्जा के साथ उन ग़लतियों से आगे निकलकर एक और प्रयास करने का परिणाम है। इसीलिए मेरी नज़र में सफलता का मंत्र या राज ‘एक ओर प्रयास’ अथवा ‘एक बार फिर शुरू करना’ है। आशा करता हूँ आप ‘लॉ ऑफ़ वेस्टेड एफ़र्ट्स’ की गहराई समझकर, उससे प्रेरित होंगे और अंत में सफल होकर लोगों के लिए प्रेरणा बनेंगे।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com