फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

दोस्तों, इस मनुष्य जीवन में हर कोई सफल होना चाहता है, अपने सपनों, अपनी इच्छाओं को पूरा करना चाहता है। लेकिन एक आँकड़ा बताता है कि 98 प्रतिशत लोग कभी अपने सपनों, अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाते हैं। इससे भी महत्वपूर्ण, ज़रूरी और जानने लायक़ बात यह है कि जिन्होंने अपने सपनों, अपनी इच्छाओं को पूरा कर लिया है, उनमें से भी 90 प्रतिशत लोग आत्मिक सुख और शांति से वंचित हैं।

दोस्तों पूर्ण सफलता पाने के लिए हमें बाहरी चुनौतियों के साथ-साथ अपने अंदर मौजूद नकारात्मक भावों पर भी विजय प्राप्त करना होगी और इसके लिए हमें अपने अंदर छुपी एक शक्ति को पहचानना होगा। आईए आज हम गौतम बुद्ध की कहानी से असम्भव को सम्भव बनाने वाली उस छुपी हुई शक्ति को पहचानने का प्रयास करते हैं।

गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ धर्म व सत्य के प्रचार-प्रसार का उद्देश्य लिए एक नगर से दूसरे नगर भ्रमण किया करते थे और इस यात्रा के दौरान वे अपने शिष्यों के मन में आए प्रश्नों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को शांत कर, शिक्षित करते जाते थे। ऐसे ही एक बार पहाड़ी क्षेत्र से गुजरते समय, पहाड़ की ऊँची-ऊँची चोटियों और सुंदर वादियों को देख एक शिष्य के मन में विचार आया कि शायद इस दुनिया की सबसे शक्तिशाली चीज़ चट्टान और पहाड़ होते होंगे। अपनी जिज्ञासा को शांत करने के उद्देश्य से शिष्य ने गौतम बुद्ध से पूछा, ‘गुरुजी, प्रकृति के इन मोहक दृश्यों को देखते हुए मेरे मन में विचार उठा है कि इस दुनिया में यह चट्टानें सबसे शक्तिशाली होंगी, इनके ऊपर किसी का भी बस नहीं चलता होगा क्यूँकि यह अटल, अविरल और कठोर हैं?’

शिष्य की बात सुन गौतम बुद्ध मुस्कुराए और बोले, ‘नहीं, यह चट्टानें लोहे के प्रहार से टूट जाती है। अर्थात् इन पर लोहा भारी पड़ता है।’  बुद्ध का जवाब सुन शिष्य बोला, ‘इसका अर्थ हुआ कि लोहा सर्वशक्तिशाली है।’ बुद्ध फिर से मुस्कुराते हुए बोले, ‘बिलकुल नहीं! अग्नि, अपने ताप से इसे पिघला देती है।’ बुद्ध की बातों को धैर्यपूर्वक सुन रहा शिष्य बोला, ‘गुरुजी, इसका अर्थ यह हुआ कि अग्नि सबसे अधिक शक्तिवान है।’

‘अग्नि भी नहीं वत्स, क्यूँकि जल, अग्नि की गरमाहट को शांत कर देता है।’ बुद्ध ने उसी मुस्कुराहट के साथ कहा। शिष्य सोच रहा था, हो ना हो जल ही सबसे शक्तिशाली है क्यूँकि उसकी ताक़त उसने हाल ही में आयी बाढ़ के दौरान देखी थी। अपने तथ्य को सुनिश्चित करने के लिए वह बुद्ध से बोला, ‘महात्मन!, इस हिसाब से तो जल सबसे अधिक शक्तिशाली हुआ या फिर कोई और भी है जो इससे भी ताकतवर है?’ महात्मा बुद्ध बोले, ‘बिलकुल वत्स, जल से ताकतवर वायु है। वायु का वेग जल की दिशा बदल देता है।’

बुद्ध की बात सुन शिष्य कुछ सोच में पड़ गया। बुद्ध तुरंत समझ गए कि शिष्य की जिज्ञासा अभी शांत नहीं हुई है। उन्होंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘वत्स अब तुम मुझसे पूछोगे कि वायु से ताकतवर कौन है और और फिर मेरा जवाब सुनने के बाद तुम्हारा अगला प्रश्न होगा, ‘इससे ताकतवर कौन?’ इसलिए मैं तुम्हें पहले ही अंतिम सवाल का जवाब दे देता हूँ। इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली, बलशाली और मज़बूत इंसान की संकल्प शक्ति है। हो सकता है, मेरा जवाब तुम्हें अभी अजीब सा लग रहा हो, पर सोचकर देखो, मनुष्य ने अपनी संकल्प शक्ति से पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि सभी को नियंत्रित करा है। बस उसे इस शक्ति का एहसास नहीं है।’

दोस्तों, वैसे गौतम बुद्ध की बात में हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक बहुत गहरा संदेश छिपा हुआ है। जिस तरह मनुष्य ने पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि पर अपनी संकल्प शक्ति से विजय प्राप्त करी उसी तरह वह अपनी संकल्प शक्ति से अपने अंदर मौजूद कठोरता, क्रोध, घृणा, नफ़रत, डर आदि जैसे नकारात्मक भावों पर भी विजय प्राप्त कर असीमित क्षमताओं को पहचान सकता है और आत्मिक शांति के साथ सुखी रहते हुए अपना जीवन जी सकता है। इसीलिए दोस्तों मनुष्य की संकल्प शक्ति को ही सर्वशक्तिशाली माना गया है। मनुष्य जीवन में अगर आप कोई भी चीज़ पाना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने अंदर संकल्प शक्ति विकसित करें। याद रखिएगा दोस्तों, ‘मनुष्य अगर दृढ़ संकल्प के साथ सफलता के लिए उठाए गए पहले कदम की ऊर्जा को उसी दृढ़ संकल्प के साथ यदि अंत तक क़ायम रख ले तो वह पूर्ण सफलता प्राप्त करने में कभी विफल नहीं होगा।’

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com