फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

दोस्तों सबसे पहले तो आप सभी को मेरे और ग्लोबल हेराल्ड परिवार की ओर से अंग्रेज़ी नववर्ष की शुभकामनाएँ। यह नया वर्ष आपके जीवन में ख़ुशियाँ और आनंद लेकर आए, आप दिन दूनी और रात चौगुनी तरक़्क़ी करें, वर्ष 2022 के लिए आपके द्वारा देखे गए हर सपने और लिए गए हर संकल्प को पूरा करे। तो चलिए नव वर्ष की शुरुआत हम ज़िंदगी हसीन बनाने के लिए आवश्यक कुछ सूत्रों को सीखकर करते हैं, जिनकी सहायता से हम अपने सपनों और संकल्पों को पूरा कर सकते हैं।

सपनों और संकल्पों को पूरा करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ सकारात्मक सोच और नज़रिए का होना है। जैसे सामान्यतः लोग मानकर चलते हैं कि, ‘खुदा जब देता है छप्पर फाड़कर देता है!’ लेकिन दोस्तों अगर हम उन चुनिंदा लोगों में से एक बनना चाहते हैं जो हर हाल में अपने सपनों और संकल्पों को पूरा करते हैं तो हमें उक्त उक्ति के साथ एक लाइन और जोड़ना होगी, ‘यह बिलकुल सही है कि खुदा जब देता है छप्पर फाड़कर देता है, लेकिन जब तक हम छप्पर बनाएँगे नहीं वो फाड़ेगा किसे?’ अर्थात् खुदा से कुछ पाने की आस रखने से पहले हमें कुछ कर्म करना होगा और कर्म की दिशा सही हो इसलिए हमें पहले अपने नज़रिए, अपनी सोच को बेहतर बनाने के लिए कार्य करना होगा। आईए आज हम उन 7 सुनहरे सूत्रों को सीखते हैं जिन्हें काम में लेकर हम अपने ‘छप्पर’ को बनाना सुनिश्चित कर सकें और खुदा से कहने के हक़दार हो जाएँ, ‘प्रभु हमारी ओर से पूरी तैयारी है, बस अब देर काहे की?’ तो चलिए अच्छा सकारात्मक नज़रिया और सोच बनाने वाले पहले सूत्र के साथ शुरू करते हैं-

पहला सूत्र - जिसे आप नियंत्रित कर सकें सिर्फ़ वहीं निवेश करें
दोस्तों इस दुनिया में जितने भी सफल लोग हुए हैं उन सभी ने अपने समय, ऊर्जा और पैसों का बेहतर प्रबंधन किया है। अगर आप भी अपने लक्ष्यों और संकल्पों को पूरा करना चाहते हैं तो इन तीनों अर्थात् समय, ऊर्जा और पैसों का निवेश समझदारी से सिर्फ़ उसी जगह करें जहाँ से आप इन्हें नियंत्रित कर सकें और कम से कम जोखिम के साथ, इसका अधिकतम लाभ उठा सकें।

दूसरा सूत्र - बचाने के स्थान पर कमाने पर ध्यान लगाएँ
दोस्तों अगर बात पैसे की की जाए तो बचाने पर ध्यान लगाना जहाँ आपकी सोच को सीमित करता है, वहीं कमाने पर ध्यान लगाना आपको कुछ नया सीखने, कुछ नया सोचने और कुछ नया करने के लिए प्रेरित करता है अर्थात् आपको पहले से बेहतर बनने में मदद करता है। दूसरी नज़र से देखा जाए दोस्तों, तो बचाने के लिए आप समझौता करते हैं लेकिन कमाते समय आप जीवन के मज़े लेते हुए आगे बढ़ते हैं।

तीसरा सूत्र - अपनी क्षमताओं को चुनौती दें  
दोस्तों जब आपके लक्ष्य, आपके संकल्प आपको चुनौती नहीं देते हैं तो आप अपने कम्फ़र्ट ज़ोन में रहते हुए कार्य करते हैं। इसके विपरीत अगर आपके लक्ष्य, आपके संकल्प बड़े, चुनौतीपूर्ण होते हैं तब वे आपको अपनी क्षमताओं से आगे जाकर कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए दोस्तों बड़े संकल्पों, बड़े लक्ष्यों को लेकर चलें, जो आपको रोज़ सुबह उठकर कार्य करने के लिए प्रेरित करें और अगर इसके बाद भी आप कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं तो स्वयं को पुश करने, कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर निकलकर कार्य करने की ज़िम्मेदारी किसी और को दें। यह कोई भावनात्मक रिश्ता अथवा कार्य भी हो सकता है।

चौथा सूत्र - विश्वास और हिम्मत रखें और बिना रुके आगे बढ़ते रहें
कई बार बड़े संकल्पों या लक्ष्यों का पीछा करते वक्त आप अपना सर्वश्रेष्ठ देने के बाद भी वह परिणाम नहीं पा पाते हैं जिसकी कल्पना आपने करी थी और ऐसी स्थिति में आप निराशा की वजह से खुद की क्षमताओं पर ही प्रश्न उठाने लगते हैं। याद रखिएगा दोस्तों, अविश्वास और हिम्मत खोना आपके कार्य करने की गति को धीमा कर देता है, बल्कि कई बार तो रोक देता है। रुकना, फिर चलना, फिर रुकना और फिर चलना आपको अपने लक्ष्य, अपने संकल्प, अपनी सफलता से दूर करता है। इसके स्थान पर अप्रत्याशित परिणाम मिलने पर उससे सीखने का प्रयास करें, संकल्प या लक्ष्य पूरा होने के बाद मिलने वाली ख़ुशी को महसूस करें और हिम्मत और पूर्ण विश्वास रखते हुए फिर से प्रयास करें।

पाँचवाँ सूत्र - सपनों और संकल्पों के मामले में समझौता ना करें
असफलता मिलने पर अपने लक्ष्यों, सपनों या संकल्पों को छोटा करना, उन्हें बीच में छोड़ना, खुद की क्षमताओं पर प्रश्नचिन्ह लगाने समान है। इसलिए दोस्तों, अगर मनचाहे परिणाम नहीं मिल रहे हैं तो लक्ष्यों या संकल्पों को बदलने के स्थान पर असफलताओं से सीखकर, नई कार्य योजना बनाएँ और एक बार फिर दुगुने जोश के साथ फिर से प्रयास करें।

छठा सूत्र - बड़ी सोच के साथ सकारात्मक रहते हुए बड़े कार्य करें
सकारात्मक और बड़ी सोच ही हमें लक्ष्य के प्रति केंद्रित रहते हुए जीवन को नया रूप देने में मदद करती है, हमें सफल बनाती है। वैसे भी दोस्तों महात्मा बुद्ध ने कहा है, ‘जैसा आप सोचते हैं, वैसे ही आप बन जाते हैं।’ अगर सोच बड़ी और सकारात्मक होगी तो ही आप बड़े अविष्कार कर, सपनों को सच करके, बड़े, बेहतर और कामयाब इंसान बन पाएँगे।   

सातवाँ सूत्र - याद रखें, ईश्वर का स्थान सबसे पहले है
दोस्तों हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारा कार्य कर्म करना है ना कि फल की कामना या चिंता करना। लक्ष्य या संकल्पों के लिए कार्य करते वक्त हमें गीता के इस उपदेश को हमेशा याद रखना चाहिए। सब कुछ करने के बाद भी अगर आपको मनचाहा परिणाम नहीं मिला है तो इसका एक ही अर्थ है, ईश्वर ने आपके लिए आपसे कुछ अलग और बड़ा सोच रखा है और वह उसे आपको दिलाने के लिए कार्य कर रहा है। इसलिए आपके कर्मों का परिणाम कुछ भी क्यूँ ना हो, हमेशा याद रखें ईश्वर का स्थान सबसे पहले है।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com