फिर भी ज़िंदगी हसीन है… 


‘मम्मा, मैं असफल हो गई हूँ ना?’ प्रतियोगिता में ईनाम ना जीत पाने पर कक्षा दूसरी की बच्ची के मुँह से यह शब्द सुन मैं हैरान था। असल में दोस्तों हम लोगों ने ‘असफलता’ को नकारात्मक शब्द के रूप में समझ लिया है। अक्सर लोग असफलता को सफलता की कमी, लक्ष्य तक पहुँचने की असमर्थता के रूप में मानते हैं। जबकि मेरा मानना है असफलता, सफलता की नींव है। जी हाँ साथियों अगर असफलता को प्रेरणा बना लिया जाए तो यह हर पल आपको बेहतर बनने, बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

इसे मैं आपको अपने जीवन के एक उदाहरण से समझाने का प्रयास करता हूँ। वर्ष 2007 में मैंने कम्प्यूटर व्यवसाय को बंद कर ट्रेनर बनने का निर्णय लिया और वर्ष 2010 के आते-आते अपनी ट्रेनिंग पूर्ण कर ओपन सेशन करना शुरू कर दिया। जैसा हमेशा होता है सबसे पहले आपको अपने लोग ही मौक़ा देते हैं, ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ। सबसे पहले मुझे मेरे बड़े भाई श्री अजय भटनागर ने 5 सितम्बर 2010 को नीमच अशासकीय शाला संघ द्वारा शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया, जिसमें मेरा प्रदर्शन काफ़ी अच्छा रहा और इस कार्यक्रम ने मुझे एहसास कराया कि मैं भीड़ को अपने कौशल से बांधे रख सकता हूँ। अगला मौक़ा मुझे दूसरे बड़े भाई श्री विक्रम भटनागर ने मंदसौर में रोटरी क्लब के सदस्यों के लिए आयोजित कार्यक्रम में वक्ता के रूप में बुलाकर दिया। लेकिन यहाँ मेरा प्रदर्शन औसत रहा। इस असफलता से मैंने सीखा कि  भले ही आप कितने भी ज्ञानी क्यूँ ना हों, अगर आपने श्रोताओं को सुनने के लिए राज़ी नहीं किया या आप उनके स्तर पर जाकर नहीं बाता पा रहे हैं तो वे आपको नकार देंगे। इस असफलता के अनुभव को मैंने अपने गुरु से साझा किया और उनसे सीखा कि  किस तरह इस तरह के कार्यक्रमों में वक्तव्य देना चाहिए। इस असफलता से मिली सीख की वजह से मैं उसके बाद एक हज़ार से अधिक सफल कार्यक्रम कर चुका हूँ।

असल में दोस्तों, असफलता आपको सफल बनाने के लिए आवश्यक सीख देने का एक तरीक़ा है। यह चरित्र निर्माण में मदद करती है, असफलता आपको दबाव, तनाव और चिंता से निपटना सिखाती है। दोस्तों असफलता यानी अपनी ग़लतियों से सीखने का साहसिक तरीक़ा है। अगर आप अभी भी मेरी बात से सहमत नहीं है, तो ऍपल कम्प्यूटर्स के संस्थापक स्टीव जॉब्स की जीवनी पढ़कर देखिएगा। 

सम्भव है दोस्तों, आपको लगे कि जैसा स्टीव जॉब्स के साथ हुआ वैसा सबके साथ नहीं होता है अर्थात् हर कोई एक बड़ी-भारी विफलता के बाद सफल नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में आपसे सिर्फ़ एक छोटा सा सवाल पूछना चाहूँगा, ‘क्या आप असफलता के बाद हार मानकर बैठने की जगह एक छोटी सी नई शुरुआत कर सकते हैं? अगर हाँ तो समझ लीजिए काम हो जाएगा अर्थात् अब आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता। बस एक बार फिर सोचिए नए तरीके से कैसे कार्य किया जा सकता है?, अब नए तरीके के आधार पर अपनी टू डू लिस्ट बनाइए, अपनी कार्य योजना बनाइए, उसके आधार पर छोटी शुरुआत, छोटे प्रयोग करके देखिए और अगर परिणाम आपके अनुसार है तो बस अपनी योजना की मूर्त रूप देने में जुट जाइए। याद रखिएगा दोस्तों, असफलता या असहजता के साथ सहज हो जाना ही सफलता की ओर जाने वाला पहला और महत्वपूर्ण कदम है।

उपरोक्त योजना को मैं आपको एक उदाहरण से समझाता हूँ। फ़िनलैंड के रहने वाले रोवियो ने कम्प्यूटर के खेल बनाकर सफल होने की योजना बनाई। अपनी योजना पर काम करते हुए उन्होंने बहुत मेहनत से एक गेम डिज़ाइन किया लेकिन वह गेम पूरी तरह विफल हो गया। इसके बाद उन्होंने हार मानने के स्थान पर अपनी ग़लतियों से सीख, एक बार फिर प्रयास करा लेकिन इस बार भी उन्हें असफलता ही हाथ लगी और ऐसा दोस्तों एक, दो या दस बार नहीं बल्कि उनके साथ 52 बार हुआ। रोवियो ने हर बार हार मानने की जगह ग़लतियों से सीख एक छोटी नई शुरुआत करी और अंत में 53वीं बार में एंग्री बर्ड्स नामक कम्प्यूटर गेम बनाया और दोस्तों मुझे नहीं लगता कि एंग्री बर्ड्स कितना सफल गेम था, यह आपको बताना पड़ेगा।

इसीलिए दोस्तों, मैं कहता हूँ, असफलता, सफलता पाने का सर्वोत्तम उपाय है। अगर असफलता नहीं होती तो लोगों में धैर्य नहीं होता, हम किसी भी कार्य को करने के अलग-अलग उपाय नहीं सोचते, जीवन में ‘वाओ’ वाले क्षण कम होते। जीवन में उमंग, जोश, हंसी, ख़ुशी, जीवटता और जीवंतता की कमी हो जाती। जी हाँ दोस्तों इसीलिए तो कहता हूँ असफलता हमें बेहतर बनाती है। 

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.com