फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
 

दोस्तों वर्ष 2007 में अपने गुरु श्री राजेश अग्रवाल जी से मिलने के बाद लक्ष्य और प्राथमिकताएँ बनाकर जीना मेरी जीवनशैली बन गया था। अर्थात् वर्ष खत्म होने से पहले, अपने नए वर्ष के लिए नई प्राथमिकताएँ सोचना और उन्हें लक्ष्य में बदलकर, उसे पाने की कार्य योजना बनाकर लिखना। वैसे हममें से ज़्यादातर लोग ऐसा ही करते है, हर वर्ष नए साल के लिए नए संकल्प लेना और पूरे साल उन्हें हक़ीक़त में बदलने के लिए कार्य करना।

लेकिन इस वर्ष दोस्तों में हैरान था क्यूँकि इस विषय में काफ़ी सोचने के बाद भी मुझे समझ नहीं आ रहा था कि किन चीजों को अपना लक्ष्य बनाया जाए। इसी उलझन के बीच मुझे अचानक व्हाट्सएप पर एक परिचित द्वारा भेजी गई कहानी पड़ने को मिली जो इस प्रकार थी-

बात कई वर्ष पुरानी है, गाँव में रहने वाला रामदीन घूमते-घूमते एक पहाड़ की चोटी पर पहुँच गया। चोटी पर प्रकृति का नया रंग देख वह हैरान था। वह सोच ही रहा था कि कुदरत ने कितनी रंगीन दुनिया बनाई है तभी उसका ध्यान चोटी पर एक तरफ़ ध्यान की मुद्रा में अकेली बैठी एक महिला की ओर गया। एकदम निडर और जंगल में अकेली महिला को देख रामदीन आश्चर्यचकित था। वह उनके पास गया और बोला, ‘माताजी आप यहाँ एकांत में अकेले बैठे-बैठे क्या कर रही हैं?’ ‘अपना काम।’, उस महिला ने कहा।

महिला का जवाब सुन आश्चर्य से भरा रामदीन बोला, ‘काम? कौनसा और कैसा काम? आप तो मुझे एकदम फ़्री नज़र आ रही हैं।’ रामदीन का प्रश्न सुन महिला जोर से हंसी और बोली, ‘तुम्हें मैं फ़्री नज़र आ रही हूँ? अरे मैं तो इस वक्त बहुत ही ज़्यादा व्यस्त हूँ। मुझे अभी 2 बाज, 2 चील, 2 ख़रगोश और एक साँप को अनुशासित रहना सिखाना है और साथ ही एक गधे को प्रशिक्षित और एक शेर को वश में करना है। इतना सारा काम होते हुए मैं फ़्री कैसे रह सकती हूँ?’

महिला के जवाब ने रामदीन को उलझन में डाल दिया उसे लगा कहीं मैं किसी पागल महिला के चक्कर में तो नहीं फँस गया हूँ? लेकिन उस महिला के चेहरे के तेज़ को देख रामदीन उनकी बात को नज़रंदाज़ भी नहीं कर पा रहा था। अनायास ही उसके मुँह से निकल पड़ा, ‘चील, बाज, ख़रगोश, साँप, गधा और शेर। यही कहा ना आपने? लेकिन इनमें से तो यहाँ आपके आस-पास कोई भी नहीं दिख रहा है?’ रामदीन का जवाब सुन महिला फिर हंसी और बोली, ‘कैसे दिखेंगे तुमको, यह सब तो मेरे अंदर हैं और मुझे लगता है तुम्हारे अंदर भी होंगे।’

रामदीन को समझ में तो कुछ नहीं आया, लेकिन ऐसा लग रहा था मानो महिला की बातों ने उस पर जादू कर दिया है। वह वहीं ज़मीन पर बैठ गया और बोला, ‘माँ! मैं नादान हूँ, आपकी गहरी बात को समझ नहीं पा रहा हूँ। कृपया मुझे थोड़ा विस्तार से समझाइए।’

रामदीन की बात सुन महिला गम्भीर स्वर में बोली, ‘देखो बाज, सब पर अपनी निगाह बनाए रखता है। फिर चाहे वो अच्छा हो या बुरा, मेरी दोनों आँखें ऐसी ही हैं। मुझे इन्हें बेहतर बनाने के लिए कार्य करना है, जिससे यह सिर्फ़ अच्छा देखें। जिस तरह चील अपने पंजों से दूसरों को नुक़सान पहुँचाती है, उनका शिकार करती है, ठीक उसी तरह मेरे दोनों हाथ लाभ बटोरने के चक्कर में कई बार दूसरों को नुक़सान पहुँचा देते हैं। मुझे इन दोनों को प्रशिक्षित करना है।’

अब ख़रगोश को ही देख लो, हमेशा इधर-उधर फुदकता रहता है, और ज़रा सी विपरीत परिस्थिति आई नहीं कि दुबककर बैठ जाता है। मेरे दोनों पैर इसके सामान हैं हमेशा इधर-उधर भटकने के लिए तैयार लेकिन ज़रा सी ठोकर लगीं नहीं या ख़राब रास्ता मिला नहीं कि परेशान हो जाते हैं, थक जाते हैं और बैठने के लिए मजबूर करते हैं। मुझे उन्हें चोट सहना सिखाना होगा। जिस तरह गधा हमेशा बोझा उठाने से बचने के लिए ज़िद्दी बच्चे सा व्यवहार करता है ठीक उसी तरह मेरा शरीर हमेशा थका हुआ महसूस कराता है और काम करने, मेहनत करने से बचना चाहता है।

लेकिन इन सब से ज़्यादा मुश्किल है साँप को साधना। हालाँकि उसे 32 सलाख़ों के पीछे रखा होता है फिर भी वह हर पल काटने, ज़हर छोड़ने के लिए तैयार रहता है। मेरी जीभ बिलकुल उस साँप के सामान ही है। मुझे इसे अनुशासन में रहना सीखाना होगा, जिससे यह अपनी वाणी, अपने शब्दों द्वारा ज़हर छोड़ना बंद कर सके और हाँ मेरे पास एक शेर भी है। जो हमेशा, ‘मैं और मेरा’ में उलझा रहता है और खुद को व्यर्थ में ही राजा मानता है। यह मेरा मन, मेरा अहंकार है, मुझे इसे वश में करना है। इतना कहते ही वह महिला बोली, ‘पुत्र अब तो तुम भी समझ गए होगे कि मेरे पास बहुत सारा काम है!’

कहानी पढ़ते ही मुझे इस वर्ष का संकल्प, इस वर्ष का लक्ष्य मिल गया। मुझे लगा, ‘अभी तो मेरे अंदर ही बहुत सारे सुधार की गुंजाइश है। मुझे अपने व्यवसाय, अपने कार्य के साथ-साथ या यह कहना बेहतर होगा कि उससे पहले खुद को वश में करने या खुद को खुद से बेहतर बनाने के लिए कार्य करना होगा। इसलिए इस वर्ष का संकल्प रहेगा कि दूसरों की आलोचना, निंदा, तुलना या मूल्यांकन करने के स्थान पर खुद की कमियों को खोजने का प्रयास करूँगा और कमियों को पहचानकर बेहतर इंसान बनने की कोशिश करूँगा। तो चलिए दोस्तों हम सब मिलकर इसे ही अपना एक संकल्प बनाते हैं कि वर्ष 2022 में खुद को बेहतर बनाने के लिए काम करेंगे।
 
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com