फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

मध्यप्रदेश में जबलपुर के पास स्थित गाडरवारा के विद्यालय आदित्य प्ले स्कूल में आगामी शैक्षणिक वर्ष की योजना बताने के उद्देश्य से आयोजित सेमिनार के दौरान मुझे तब बड़ा आश्चर्य हुआ जब वहाँ मौजूद ज़्यादातर माता-पिता ने मुझसे मुख्य विषय को छोड़ पेरेंटिंग पर चर्चा करी। वैसे मेरी नज़र में यह एक बहुत ही सुखद, सकारात्मक और बड़ा बदलाव था क्यूँकि ज़्यादातर समय या ज़्यादातर मामलों में मैंने देखा है माता-पिता के लिए शिक्षा, कक्षा में प्रथम आने, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी आदि के सामने बच्चे की बाक़ी सारी प्राथमिकताएँ या ज़रूरतें गौण लगने लगती है।

दोस्तों, लम्बे समय तक, इस तरह बच्चों की असली ज़रूरतों, समस्याओं को नज़रंदाज़ करना उनके व्यवहार में नज़र आने लगता है। जी हाँ दोस्तों, मेरा मानना है कि बच्चों के व्यवहार में दिख रहे हर परिवर्तन, फिर चाहे वो सकारात्मक हो या नकारात्मक, के लिए उसके पालक ही ज़िम्मेदार होते हैं। आईए आज हम हमारे परवरिश के तरीके से बच्चों के व्यवहार में आने वाले संभावित परिवर्तनों को 10 प्रमुख बिंदुओं के रूप में समझने का प्रयास करते हैं-

1) झूठ बोलना - अगर हम अपने बच्चे को बार-बार अनुचित और कठोर प्रतिक्रिया देते हैं तो वह झूठ बोलना शुरू कर देता है।
2) आत्मसम्मान - अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे में आत्मसम्मान की कमी है तो इसका सीधा-सीधा अर्थ है आप उसे ज़रूरत से ज़्यादा अनुशासित रख रहे हैं या यह भी कहा जा सकता है कि आप उसे बहुत ही ज़्यादा बंधनों के साथ रख रहे हैं।
3) आत्मविश्वास - अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे में आत्मविश्वास की कमी है तो इसका सीधा-सीधा अर्थ है आप उसे प्रोत्साहित कर काम करने देने की जगह सीधे-सीधे सलाह दे रहे हैं।
4) झिझक - अगर आपका बच्चा अपनी बात रखने से या फिर अपने खुद के अच्छे-बुरे के लिए अपना मत नहीं रख रहा है तो इसका सीधा-सीधा अर्थ है आपने उसे बहुत छोटी उम्र से सार्वजनिक रूप से अनुशासित रखने का प्रयास किया है।
5) दूसरों की चीजों को ले लेना - अगर बच्चा सामान्यतः वह चीज़ें लेना पसंद करता है जो उसकी नहीं हैं इसका अर्थ है आप सामान ख़रीदते या दिलाते वक्त उसकी इच्छाओं, उसकी पसंद को दरकिनार करते हैं, उसको वह चीज़ें नहीं चुनने देते हैं, जो वह चाहता है।
6) साहस या निडरता - अगर आपको बच्चे में साहस की कमी लग रही है या छोटी-छोटी बातों में आप उसे डरा हुआ पा रहे हैं तो इसका सीधा-सीधा अर्थ है कि आप बच्चों को हर कार्य में ज़रूरत से ज़्यादा मदद कर रहे हैं, उसे संरक्षित अर्थात् प्रोटेक्टेड रख रहे हैं।
7) भावनाओं का सम्मान - जब आप बच्चों से बात करने के स्थान पर बार-बार आदेश देते हैं तो वे दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना भूल जाते हैं।
8) ग़ुस्सा - जब आप बच्चे के अच्छे व्यवहार को नज़रंदाज़ करते हुए, बार-बार सिर्फ़ उसके दुर्व्यवहार या ग़लतियों को ही निकालते हैं तब आपका बच्चा गुस्सैल बनता जाता है।
9) ईर्ष्यालु - जब आप बच्चे के अंदर आए सुधार को नज़रंदाज़ करते हुए उसकी तारिफ़ सिर्फ़ तब करते हैं जब वह किसी कार्य को आपकी इच्छानुसार सफलतापूर्वक पूर्ण करता है, तब वह ईर्ष्यालु बन जाता है।
10) अगर आपका बच्चा अनावश्यक रूप से चीजों को फेंकता या तोड़ता है या फिर बिना वजह आपको परेशान करता है तो इसका मतलब है आप अपने प्यार को दर्शा नहीं रहे हैं। ऐसी स्थिति में बच्चे को गले लगाना, प्यार से थपकी देना फ़ायदेमंद रहता है।
11) अगर आपको बच्चा खोया-खोया हुआ सा लग रहा है तो इसका अर्थ है आप उन्हें असफलताओं या ग़लतियों के बाद, खुद पर विश्वास करना नहीं सिखा पाए हैं।
12) अगर आपका बच्चा आपकी बात के अलावा सब की बातों को ध्यान से सुनता है इसका अर्थ है आप उसकी समझने की शक्ति से ज़्यादा तेज़ गति से निर्णय ले रहे हैं।
13) अगर आपका बच्चा आप से अपनी बातें छुपा रहा है तो इसका सीधा सा अर्थ है कि वह आप पर विश्वास नहीं कर पा रहा है कि आप उसकी बातों को अपने तक सीमित रख पाएँगे या फिर उसे उन बातों के साथ ही स्वीकार पाएँगे।
14) अगर आपके बच्चा खुले तौर पर आपकी बातों की अवहेलना कर रहा है, उनको नज़रंदाज़ कर रहा है उसका अर्थ है कि आप अपने डर को बरकरार नहीं रख पा रहे हैं। इसे दूसरे शब्दों में कहूँ तो आप उसे गलती करने के बाद भी वह सजा नहीं दे रहे हैं, जिसके बारे में आपने पहले उसे कहा था।
15) जब आप अपने बच्चे के संदर्भ में दूसरे क्या राय रखते हैं या क्या सोचते हैं के बारे में ज़्यादा चिंतित रहते हैं तो आपका बच्चा बग़ावत करता है।

दोस्तों, वैसे तो ऐसे और भी कई उदाहरण दिए जा सकते हैं लेकिन उपरोक्त पंद्रह कारणों से आप समझ ही गए होंगे कि बच्चों के व्यवहार में हम जो भी अच्छा या बुरा परिवर्तन देखते हैं वह कहीं ना कहीं हमारे द्वारा किए गए व्यवहार या कार्य का ही प्रतिबिम्ब होता है। इसीलिए दोस्तों मेरा मानना है कि अगर आप अपने बच्चों की सकारात्मक परवरिश करना चाहते हैं तो याद रखें बच्चे उपदेश देने से नहीं बल्कि उनके सामने कार्य करके उदाहरण प्रस्तुत करने से अधिक सीखते हैं अर्थात् हमें कार्य करता देख सीखते है। आईए बच्चों के परवरिश के अनुभव को सकारात्मक बनाने के लिए आज से अपने व्यवहार को और बेहतर बनाना शुरू करते हैं।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.com