फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


दोस्तों अक्सर लोग कहते हैं, ‘देख लेना एक दिन मैं ज़रूर सफल होऊँगा!’ और मैं ऐसे लोगों से मन ही मन कहता हूँ, ‘सिर्फ़ सोचने से वह दिन कभी नहीं आएगा!’  मेरे ऐसा सोचने की मुख्य वजह उनकी जेनेरिक सोच है। अर्थात् सफलता अगर सिर्फ़ एक विचार या एक इच्छा है तो उसका हक़ीक़त में तब्दील होना सिर्फ़ ईश्वरीय इच्छा से ही सम्भव है। मेरा मानना है कि सफलता अचानक से लग जाने वाली लॉटरी नहीं है। अगर आप वाक़ई सफल होने की कामना रखते हैं तो आप निम्न 5 कार्य करें-
1) अपनी सफलता की परिभाषा तय करें।
2) परिभाषा के आधार पर लक्ष्य बनाएँ और उन्हें पाने की तारीख़ तय कर, खुद से वादा करें कि यह लक्ष्य मेरा है और इसे पूरा करना सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी ज़िम्मेदारी है।
3) लक्ष्य को पाने की योजना बनाएँ। इसके लिए स्वयं से दो प्रश्न करें और उनके उत्तर लिख लें। पहला प्रश्न, मैं किस तरह इसे सम्भव बना सकता हूँ? दूसरा प्रश्न, पहले प्रश्न के आधार पर लक्ष्य को पाने के लिए मुझे तार्किक आधार पर क्या-क्या कदम उठाने होंगे?
4) उपरोक्त प्रश्नों के लिखे हुए उत्तर को आधार बनाकर अपने सफलता के सूत्र बनाएँ।
5) अपने सफलता के सूत्रों को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाते हुए, योजना के अनुसार तय लक्ष्य के लिए, सही दिशा में, सही तरीक़े से प्रयास करें।

दोस्तों, उदाहरण के तौर पर उपरोक्त 5 कार्य करते हुए मैंने सफलता पाने के लिए जो सूत्र बनाए थे और जिनकी मदद से अपने लक्ष्यों को पाया था, आईए आज उन्हीं 5 सूत्रों को आपके साथ साझा करते हुए समझाने का प्रयास करता हूँ-

पहला सूत्र - सुबह उठते ही पहला कार्य इरादा बनाएँ 
सुबह उठते ही ईश्वर को धन्यवाद करने के बाद मेरा पहला कार्य अपने लक्ष्यों को याद करना होता है। इसके लिए आप अपने पलंग के सामने दीवार पर अपने लक्ष्यों की सूची लगाकर रख सकते हैं, लक्ष्य याद करते ही उसे पाने के लिए आज दिन भर में किए जाने वाले कार्यों को याद कर लें और ठान लें आज किसी भी हाल में, कैसी भी परिस्थितियों के बीच आप इन्हें पूरा करके ही दम लेंगे।

दूसरा सूत्र - प्रार्थना करें, विज़ुअलाइज़ करें और खुद को सकारात्मक अफ़रमेशंस दें
अपने दैनिक कार्य जैसे ब्रश करना, नहाना इत्यादि पूर्ण करते वक्त आप प्रार्थना भी कर सकते हैं। यह प्रार्थना आपकी अपनी, अपने लक्ष्यों के लिए बनाई हुई होनी चाहिए। जैसे, ‘मैं (अपना नाम) खुद से यह वादा करता हूँ कि मैं आज और अभी से अपने विचारों को नियंत्रित करूँगा। मेरे जीवन में आने वाली समस्याओं, परेशानियों या चुनौतियों के लिए शिकायत करने के स्थान पर, आज से ईश्वरीय इच्छानुसार मुझे जो भी मिलेगा, उसके लिए मैं आभारी रहूँगा। ‘जो प्राप्त है, पर्याप्त है!’ की तर्ज़ पर जो उपलब्ध है उसी पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करूँगा। साथ ही, आज ही से मैं अपना शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तर पर ध्यान रखूँगा और अपने लक्ष्यों का सम्मान करूँगा और उन्हें हर पल हक़ीक़त में बदलने के लिए, अपना सौ प्रतिशत देते हुए, प्रयास करूँगा।’

प्रार्थना के पश्चात, अपने सपनों के जीवन को विज़ुअलाइज़ करें, उससे मिलने वाली ख़ुशी को महसूस करें और फिर खुद को सकारात्मक अफ़रमेशंस दें। जैसे, आई केन, आई विल, आई मस्ट अर्थात् मैं कर सकता हूँ, मैं इसे करूँगा, मैं इसे ज़रूर करूँगा। मेरा अतीत मेरे वर्तमान को प्रभावित नहीं करता है, मैं सफल होने के लिए इस दुनिया में आया हूँ, मैं सफल हो रहा हूँ, मैं सफल हो गया हूँ, आदि।

तीसरा सूत्र - ‘फ़ेक इट, टिल आय मेक इट’, तकनीक काम में लाएँ 
सफल होने के पश्चात आपकी जीवनशैली कैसी होगी, आप किस तरह के कपड़े पहनेंगे, कैसे लोगों से मिलेंगे, किस तरह अपने परिवार के साथ समय बिताएँगे, अपने कार्यालय में किस तरह जाएँगे, वहाँ कैसे कार्य करेंगे आदि जैसे कार्यों में से किसी एक को चुनें और उस पूरे दिन, उस कार्य के लिए वैसा ही व्यवहार करें। ठीक इसी तरह रोज़ कम से कम एक कार्य चुनें और उसे आप भविष्य में सफल होने के बाद जिस तरह करते, वैसे करें। इसे तब तक दोहराते रहें जब तक आप सफल नहीं हो जाते।  

चौथा सूत्र - अपने लक्ष्य को दूसरों से साझा करें 
अपने लक्ष्य को लोगों को बताना अर्थात् उसे बार-बार दोहराना आपके कमिटमेंट लेवल को कई गुना बढ़ा देता है। हालाँकि कई बार लोगों के समक्ष अपने लक्ष्यों को बताना खुद के ऊपर दबाव भी बढ़ाता है, लेकिन अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं तो यही दबाव आपके लिए मोटिवेशन का काम करता है और हम दूसरों की निगाह में खुद को सही सिद्ध करने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा लगाने लगते हैं।

पाँचवाँ सूत्र - आभारी रहें 
प्रतिदिन सोने से पूर्व ईश्वर, परिवार, साथी या अपनी टीम के साथ-साथ किसी भी रूप में सम्पर्क में आने वाले लोगों के लिए आभारी रहें। फिर भले ही उन्होंने आपके जीवन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लक्ष्य प्राप्ति में मदद करी हो या नहीं। 

दोस्तों, यक़ीन मानिएगा उपरोक्त 5 सूत्रों से ना सिर्फ़ मैंने बल्कि कई लोगों ने अपने सपनों को पूरा किया है। निश्चित तौर पर यही 5 सूत्र आपको भी अपने सपनों को हक़ीक़त में बदलने में मदद कर सकते हैं, बस आपको इन्हें कम से कम 21 दिनों तक दोहराना होगा जिससे यह आपकी आदत बन जाएँ और अगर आप इन्हें लगातार 90 दिनों तक दोहरा पाए तो यही सूत्र आपकी जीवनशैली का हिस्सा बन जाएँ।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर   
dreamsachieverspune@gmail.com