फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


आपने निश्चित तौर पर आज के युवाओं को नौकरियों के स्थान पर व्यवसाय को प्राथमिकता देते हुए देखा होगा, जिसके लिए आजकल ‘स्टार्टअप’ शब्द का उपयोग भी होता है। व्यवसाय और स्टार्टअप दोनों ही लोगों की किसी ना किसी समस्या के समाधान को प्रोडक्ट या सर्विस के द्वारा हल करते हैं। जब समस्या के समाधान को पूर्व में उपलब्ध साधारण तरीक़े से उपलब्ध कराया जाता है, तब हम उसे व्यवसाय बोलते हैं और जब इसी समस्या का हल कोई प्रोडक्ट या सर्विस, नए या रचनात्मक तरीके से करती है तो उसे स्टार्टअप कहते हैं। साधारण शब्दों में कहूँ तो स्टार्टअप याने पुरानी समस्याओं का आसान, तेज़ और सस्ता हल, जो उसे ख़रीदने वाले के जीवन को आसान और बेहतर बनाता है। 

दोस्तों, व्यवसाय या स्टार्टअप को चुनना एक अच्छा लेकिन जोखिम भरा विचार है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स, इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस वैल्यूस एवं आईबीएम इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस स्टडीज की रिसर्च के आँकड़े बताते हैं कि प्रथम 5 वर्षों में 90% स्टार्टअप बंद हो जाते हैं और बचे हुए 10 प्रतिशत में से 70 प्रतिशत 10 वर्ष की अवधि तक भी नहीं चल पाते हैं। । दोस्तों, लोगों के जीवन को आसान और बेहतर बनाने वाले, उन्हें कम क़ीमत में तेज़ गति से सर्विस देने वाले विचारों को बाज़ार द्वारा नकारने या फिर बाज़ार द्वारा स्वीकारे जाने के बाद भी उसके बंद होने के 7 प्रमुख कारणों में से कल हमने प्रथम 4 कारण समझे थे। आईए आगे बढ़ने से पहले उन्हें संक्षेप में दोहरा लेते हैं।

1) इन्वेस्टमेंट और पैसों को मैनेज ना कर पाना
दोस्तों, हमारे यहाँ बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ वित्तीय शिक्षा नहीं दी जाती है और जब वे व्यवसाय या स्टार्टअप के विचार पर कार्य करते हैं तो यह उनके लिए एक बड़ी समस्या बन जाती है। इसके साथ ही हमारे यहाँ स्टार्टअप के लिए पैसा फ़ंडिंग नहीं, लेंडिंग के रूप में अर्थात् ब्याज पर लोन के रूप में मिलता है। वित्तीय ज्ञान की कमी, ब्याज की मार और पैसों की कमी स्टार्टअप के लिए एक ऐसा जाल बन जाता है जिसमें फँसने के बाद निकलना मुश्किल हो जाता है। इससे बचने के लिए दोस्तों हमें वित्तीय अनुशासन लाना होगा और उसे मुनाफ़े वाली कम्पनी या स्टार्टअप बनाने के बाद फ़ंडिंग के लिए जाना होगा।

2) ग्राहक के बदलते व्यवहार को ना पहचान पाना
अक्सर स्टार्टअप अपनी धारणाओं को ही ग्राहकों की ज़रूरत मान लेते हैं जो हक़ीक़त से कोसों दूर होती है। दोस्तों अगर आप सफल व्यवसाय स्थापित करना चाहते हैं तो आपको अपने ग्राहकों के साथ समय बिताना होगा जिससे आप उनके व्यवहार, आवश्यकताओं और बदलती ज़रूरतों को पहचान सकेंगे।

3) नवाचार अर्थात् इन्नोवेशंस का अभाव 
अक्सर भारतीय स्टार्टअप बाज़ार में नया गैप खोजने के स्थान पर पूर्व में सफल हुए विचारों को ही नए रूप में प्रस्तुत करते हैं। दोस्तों, व्यवसायिक विचार में रचनात्मकता की कमी नवाचार या इन्नोवेशन से दूर कर देती है। दोस्तों मेरा मानना है कि जब मूल विचार आपका नहीं होता है तब उस विचार के साथ सफल होना मुश्किल होता है और यह स्टार्टअप के विफल होने की एक बड़ी वजह है।
 
4) अनुभव एवं रिसर्च की कमी 
दोस्तों, हमारे यहाँ सरकारी नौकरी को किसी भी अन्य कैरियर से बेहतर माना जाता है। इसलिए ज़्यादातर लोग पढ़ाई के दौरान खुद को किसी नौकरी के लिए तैयार करने में ही व्यस्त रहते हैं और इसी वजह से किसी भी तरह का व्यवसायिक अनुभव नहीं ले पाते है। दूसरा, सफल विचारों की नक़ल करने की आदत, स्टार्टअप शुरू करने के पहले रिसर्च में समय लगाने से रोक देती है और लोग पुराने तरीक़ों से ही सफल होने का प्रयास करते हैं। ऐसे लोग भविष्य की चुनौतियों को समय से पहले पहचान नहीं पाते और असफल हो जाते हैं।

आईए दोस्तों, अब हम स्टार्टअप के असफल होने के अंतिम 3 कारण समझने का प्रयास करते हैं-
 
5) ग़लत निर्णय लेना 
अनुभव और रिसर्च की कमी की वजह से स्टार्टअप अक्सर ए॰एम॰एस॰ अर्थात् एंटीसिपेट्री मैनेजमेंट सिस्टम और एस॰ओ॰पी॰ अर्थात् स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर्स पर काम करने की जगह अपनी सोच, इच्छाओं और धारणाओं के आधार पर काम करते हैं और निर्णय लेते हैं। इसीलिए वे लोगों, बाज़ार, ब्रांडिंग का तरीक़ा, यहाँ तक की पैकिंग आदि चुनने में भी गलती कर बैठते हैं, जो लम्बे समय में उन्हें बड़ा नुक़सान पहुँचाती है।

6) त्याग करने और असफलता को स्वीकार करने के लिए तैयार ना रहना 
स्टार्टअप अक्सर एक नया विचार होता है और जब भी आप नए विचार पर प्रयोग करते हैं, असफल होने की सम्भावना बढ़ जाती है। दोस्तों, अगर आप स्टार्टअप को सफल बनाना चाहते हैं तो आपको असफलताओं से सीखना, उसके आधार पर सुधार करना और एक बार फिर से प्रयास करने की तकनीक को अपनाना होगा। ठीक इसी तरह नए विचार को बाज़ार में स्थापित करना आसान नहीं होता है। यह आपसे कई सारे त्याग करवाता है, फिर चाहे वह आपके शौक़ का हो या नींद का या फिर दोस्तों अथवा परिवार के साथ समय बिताने का।

7) बेहतरीन अनुभव ना दे पाना 
सर्विस हो या प्रोडक्ट, अगर आप अपने ग्राहक को बेहतरीन अनुभव नहीं दे पा रहे हैं तो आपके लिए बाज़ार में बने रहना, खुद को ब्रांड के रूप में स्थापित करना बहुत मुश्किल होगा। याद रखिएगा दोस्तों, ब्रांड एक नाम या सिर्फ़ समस्या का समाधान नहीं बल्कि एक वादा अर्थात् प्रॉमिस भी होता है, बेहतरीन सर्विस या प्रोडक्ट का।

आशा करता हूँ दोस्तों, उपरोक्त 7 ग़लतियों से बचकर आप अपने व्यवसाय या स्टार्टअप को सफल बनाएँगे।

-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 
dreamsachieverspune@gmail.com