विदिशा ।     जिले की लटेरी तहसील के गांव खेरखेड़ी में खेत में खुले पड़े 60 फीट गहरे बोरवेल में गिरे सात वर्ष के बच्चे को बचाने के लिए पूरी रात एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम का रेस्क्यू आपरेशन चलता रहा। बुधवार सुबह करीब 11 बजे तक सुरंग बनाने का काम पूरा हो गया। एनडीआरएफ की टीम के 04 सदस्‍य सुरंग के अंदर प्रवेश कर गए हैं, जो जल्‍द ही बोरवेल में फंसे बालक तक पहुंचकर उसे लेकर बाहर आ सकते हैं। बाहर एंबुलेंस और डाक्‍टरों की टीम अलर्ट है।मौके पर मौजूद अधिकारियों ने बताया कि बोरवेल के समानांतर गड्ढा खोदाई के दौरान चट्टान आ जाने के कारण भी देरी हुई। रेस्क्यू में जुटे जवानों का कहना है कि खोदाई के दौरान बच्चा बोरवेल में नीचे खिसक गया, इसलिए उन्हें गड्ढे की गहराई बढ़ानी पड़ी। सुबह छह बजे तक करीब 46 फीट गड्ढा खोदा जा चुका था, इसके बाद पांच फीट और खोदाई की गई। इसके बाद सुबह करीब 08 बजे एनडीआरएफ की टीम ने सुरंग बनाने का काम शुरू किया। मालूम हो, एक दिन पहले मंगलवार की सुबह करीब 11 बजे खेत में चना की फसल काट रहे मजदूर दिनेश अहिरवार का बेटा सात वर्षीय लोकेश अहिरवार पड़ोस के खेत में खुले पड़े बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था। जिसे बचाने के लिए दोपहर 12 बजे से रेस्क्यू आपरेशन चलाया जा रहा है। बुधवार सुबह सात बजे तक 19 घंटे हो चुके है लेकिन अब तक बोरवेल में फंसे बच्चे को बाहर नहीं निकाला जा सका है। मौके पर मौजूद कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने बताया कि बच्चे को बोरवेल से निकालने के लिए बोरवेल से कुछ दूरी पर गड्ढा खोदा गया है। इसके बाद गड्ढे से बोरवेल के बीच सुरंग बनाकर बच्चे को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। खोदाई का कार्य अंतिम चरण में है। इस सुरंग के माध्यम से टीम के सदस्य बोरवेल के गड्ढे तक पहुंचकर बच्चे को बाहर निकालेंगे। उन्होंने बताया कि यहां पहले छह बुलडोजर और तीन पोकलेन मशीन से खोदाई की जा रही थी। रात के समय दो पोकलेन अतिरिक्त बुलवाई गई है। अब पांच पोकलेन मशीन खोदाई कर रही है। बोरवेल में फंसे बच्चे पर नाइट वाचिंग कैमरे की मदद से नजर रखी जा रही है लेकिन मौके पर मौजूद लोगों का कहना है कि बच्चे के शरीर में रुक रुककर हलचल दिखाई दे रही है। जिसके कारण बच्चे के माता-पिता और स्वजनों की चिंता बढ़ गई है।

खुले आसमान के नीचे रात भर जागते रहे सैंकड़ों लोग

बोरवेल में फंसे बच्चे की कुशलता के लिए घटनास्थल पर सैंकड़ों लोग पूरी रात जागते रहे, इनमें बच्चे के माता - पिता के अलावा कलेक्टर उमाशंकर भार्गव, विधायक उमाकांत शर्मा सहित आसपास के गांवों के लोग थे। खेत में रात के समय सोने के कोई इतजाम नहीं थे। ग्रामीण खुले आसमान के नीचे समूह में जमीन पर बैठे रहे। रेस्क्यू के दौरान जरा-सी हलचल पर लोगों की उम्मीदें बढ़ती रही। कलेक्टर भार्गव भी रेस्क्यू टीम से बार बार अपडेट लेते रहे। बच्चे के माता - पिता और स्वजन दिन भर से भूखे थे। विधायक उमाकांत शर्मा ने रात के समय उन्हें आग्रह के साथ भोजन कराया।

भूखा-प्यासा है बोरवेल में फंसा बच्चा

60 फीट गहरे बोरवेल में फंसा बच्चा लोकेश पिछले 18 घंटे से भूखा है। बच्चे को पाइप के माध्यम से आक्सीजन तो उपलब्ध कराई जा रही है लेकिन उस तक भोजन पहुंचा पाना मुश्किल हो रहा है। कलेक्टर भार्गव के मुताबिक बच्चा ऐसी स्थिति में फंसा है कि उसे तरल पदार्थ भी नहीं दे पा रहे है।

कमिश्नर- आइजी ने लिया जायजा

कमिश्नर माल सिंह भयडिया और आइजी इरशाद वली भी रात आठ बजे घटनास्थल पहुंचे। यहां उन्होंने बचाव कार्य का जायजा लेते हुए आवश्यक निर्देश दिए। इस घटना की जानकारी मिलने के बाद क्षेत्र के विधायक उमाकांत शर्मा भी घटनास्थल पहुंचे और उन्होंने लोकेश के माता पिता और स्वजनों से मुलाकात की। उन्होंने स्वजनों को ढाढस बंधाते हुए कहा कि लोकेश को बाहर निकालने के पूरे प्रयास किए जाएंगे। इसके पहले दोपहर को उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो डालकर लोकेश को सुरक्षित बचाने के लिए क्षेत्र के लोगों से प्रार्थना करने का आग्रह किया। खेत में बोरवेल के किनारे बैठे माता - पिता, भगवान से बच्चे को बचाने की गुहार लोकेश के बोरवेल में गिरने के बाद से उसके पिता दिनेश, मां सीमा बाई के अलावा दादा, दादी भी बोरवेल के किनारे बैठकर ही बच्चे की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे है। मां सीमा का रोते रोते गला बैठ गया। उसका कहना था कि भगवान किसी भी तरह उसके बच्चे को बचा ले, फिर वह कभी अपने साथ काम पर लेकर नही जाएगी। पिता दिनेश का कहना था कि दो सौ रूपये रोज की मजदूरी के लिए वे खेत में चना काटने आए थे। उन्हें क्या पता था कि उनका बेटा इतनी बड़ी मुसीबत में फंस जाएगा।

साड़ी की रस्सी टूटने से नीचे खिसका बच्चा

लोकेश के पिता दिनेश अहिरवार ने बताया कि बेटे की गड्ढे में गिरने की खबर मिलते ही वे पड़ोस के खेत में पहुंचे। उन्होंने गड्ढे में नीचे देखा तो लोकेश दिखाई दे रहा था और उसके रोने की आवाज भी आ रही थी। तत्काल कोई बचाव का साधन नहीं मिलने पर उन्होंने साड़ी की रस्सी बनाई और उसे गड्ढे में नीचे डाला। इस रस्सी को लोकेश ने पकड़ लिया था और वे रस्सी के सहारे बाहर निकालने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान अचानक रस्सी टूट गई और लोकेश गड्ढे में और नीचे चला गया। चार साल से खुला पड़ा है बोरवेल ग्रामीणों ने बताया कि यह खेत खेरखेड़ी पठार के ही रहने वाले राधेलाल अहिरवार का है। करीब चार बीघा खेत में सिंचाई के लिए राधेलाल ने चार साल पहले बोर कराया था लेकिन पानी नहीं निकलने की वजह से इस बोर के गड्ढे को खुला ही छोड़ दिया। जिसकी वजह से यह हादसा हुआ।

खेतों की फसल चौपट, मुआवजा देगा प्रशासन

बोरवेल में गिरे बच्चे को बचाने के लिए चलाए गए बचाव कार्य के दौरान बुलडोजर, पोकलेन, डंपर और ट्रैक्टर निकलने के कारण आसपास के खेतों में खड़ी फसल चौपट हो गई है। जिस खेत में यह घटना हुई, उसमें भी धनिया की फसल बोई थी, जो पूरी तरह नष्ट हो गई है। इसके अलावा आसपास के खेतों में भी गेहूं, चना और धनिया की फसल को काफी नुकसान हुआ है। कलेक्टर भार्गव का कहना है कि जिन किसानों की फसल का नुकसान हुआ है, उन्हें मुआवजा राशि दी जाएगी।

खुले पड़े बोरवेल को बंद करने नहीं चलाया अभियान, कमल नाथ ने उठाया सवाल

तीन महीने पहले बैतूल जिले में खुले पड़े बोरवेल में गिरकर एक बच्चे की मौत के बाद वहां के कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस ने अभियान चलाकर 432 खुले पड़े बोरवेल को बंद कराया था और खुला गड्ढा छोड़ने वाले किसानों पर जुर्माना की कार्रवाई के निर्देश दिए थे लेकिन विदिशा जिले में प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। खेरखेड़ी पठार के आसपास के खेतों में ही कई बोरवेल खुले पड़े है। इसके अलावा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी किसान बोरवेल असफल होने पर उसे खुला छोड़ देते है। कलेक्टर भार्गव का कहना है कि वे सरकारी अमले के माध्यम से किसानों को बोरवेल खुला नहीं छोड़ने को लेकर जागरूक करते रहे है। इस घटना पर दुख जताते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने भी सरकार और प्रशासन की ढिलाई पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि हमने प्रशासन से पहले भी मांग की थी कि प्रदेश भर में खुले पड़े बोरवेल के विषय में कतई लापरवाही न बरती जाए और किसानों को जागरूक किया जाए परंतु शासन और प्रशासन इन घटनाओं से सबक लेने को तैयार नहीं है।उन्होंने इस घटना को गभीरता से लेते हुए स्थाई निराकरण का आग्रह किया है। बोरवेल में फंसे बालक की सुरक्षा को लेकर सीएम शिवराज भी चिंतित हैं और स्‍थानीय अधिकारियों से पल-पल का अपडेट ले रहे हैं। उन्‍होंने स्‍थानीय अधिकारियों को बच्‍चे के रेस्‍क्यू के लिए सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। दो पोकलेन और सात जेसीबी की मदद से सुरंग बनाई जा रही है। अभी 10 फीट तक खोदाई हो गई है।प्रशासन को 50 फीट तक खोदाई करना है।

चने के खेत में है बोरवेल

आनंदपुर से करीब तीन किमी दूर ग्राम खेरखेडी पठार में चना की फसल काट रहे मजदूर दिनेश अहिरवार का आठ वर्षीय पुत्र लोकेश खेलते समय पड़ोस के खेत में खुले पड़े बोरवेल में गिर गया। बच्चें की चीख सुनकर माता - पिता को बच्चे के गिरने का पता चला। उन्होंने अन्य मजदूरों के माध्यम से सूचना पुलिस थाने को दी। बच्चे के रेस्क्यू हेतु भोपाल से एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पहुंच चुकी हैं। वहीं घटनास्थल पर जेसीबी और पोकलेन मशीन से खोदाई कराई जा रही है। गड्ढे के अंदर नाइट विजन कैमरा लगाया गया है। उससे बच्चे की हलचल पर निगरानी रखी जा रही है। प्रशासन ने बताया कि बच्चे को ऑक्सीजन भी उपलब्ध कराई गई है।

एक साल से खुला पड़ा था गड्ढा

ग्रामीणों ने बताया कि नीरज अहिरवार के खेत में धनिया की फसल बोई है। इसी के बीच बोरवेल खुला पड़ा था। बालक लोकेश खेलते हुए इस खेत में पहुंच गया और गड्ढा दिखाई नहीं देने पर नीचे गिर गया। बोरवेल करीब दो फीट चौड़ा और 60 फीट गहरा बताया जा रहा है। इसे किसान ने पिछले साल खुदवाया था, लेकिन पानी नहीं निकलने के कारण खुला ही छोड़ दिया था।