नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी ने नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। खबर है कि पार्टी 2019 चुनाव में हारी हुई 144 सीटों पर खास फोकस करने की तैयारी कर रही है। हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने इन सीटों पर योजना को लेकर मंत्रियों के साथ समीक्षा बैठक की थी। अब सवाल है कि आखिर भाजपा राज्यों में प्रदर्शन को छोड़कर सीटों की ओर ही क्यों देख रही है? भाजपा आगामी आम चुनाव में ऐसी सीटों पर ध्यान लगा रही हैं, जहां वह दूसरे या तीसरे नंबर पर रही थी। अब इन सीटों पर मजबूती के लिए पार्टी ने हर मंत्री को करीब 2-3 सीटें आवंटित कर मैदान में उतारा है। भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनाव में 10 राज्यों में लोकसभा की सभी सीटें अपनी नाम कर ली थीं। इनमें राजस्थान और गुजरात का नाम शामिल है। जबकि, केरल और तमिलनाडु जैसे 11 राज्यों में पार्टी खाता भी नहीं खोल सकी थी। इनके अलावा महाराष्ट्र और बिहार ऐसे राज्य हैं, जहां भाजपा के अच्छे प्रदर्शन में उसके सहयोगी दलों ने भी अहम भूमिका निभाई थी। महाराष्ट्र में शिवसेना में फूट, बिहार में जनता दल यूनाइटेड और पंजाब में अकाली दल का नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस से बाहर जाना से भाजपा के लिए स्थिति बदल सकती है। इसके अलावा जानकार सत्ता विरोधी लहर का भी जिक्र करते हैं। उनका मानना है कि इन दोनों कारणों के चलते भाजपा को कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है और पार्टी भरपाई के लिए हारी हुई सीटों पर दांव लगाने की तैयारी कर रही है। एक और वजह यह भी है कि पार्टियां लोकसभा में सीटों और विधानसभा में राज्यों पर फोकस करती हैं। दरअसल, किसी राज्य में कम जनाधार वाली पार्टी पूरे राज्य में मेहनत कर ले और अपना वोट प्रतिशत भी थोड़ा बढ़ा ले, लेकिन अगर वह सीटें नहीं जीत पाती तो उसके प्रदर्शन पर खास असर नहीं पड़ता। जानकारों कहते हैं कि इसके चलते दल विधानसभा में पूरे राज्य पर फोकस करते हैं और लोकसभा में सीटों पर ध्यान लगाते हैं। 2019 में 10 राज्यों में पूरी लोकसभा सीटें जीत चुकी भाजपा अपना आंकड़ा बढ़ाने के लिए दूसरे राज्यों की ओर ध्यान लगा रही है। दरअसल, जिन सीटों पर भाजपा दो-तीन नंबर पर रही थी, वहां दल को प्रदर्शन के बल पर आंकड़े संभालने में मदद मिल सकती है। वहीं, महाराष्ट्र, बिहार में बदले समीकरणों को भी साधने में भाजपा के लिए यह ट्रिक मददगार साबित हो सकती है।