17 दिन पूरे होने को हैं और डॉक्टर प्रदेश सरकार से बिल वापसी की मांग पर अड़े हुए हैं। शहर के 23 प्राइवेट अस्पतालों के संचालकों ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को ज्ञापन सौंपा।

राइट टू हेल्थ के विरोध में प्राइवेट डॉक्टरों का संघर्ष अभी भी जारी है। 17 दिन पूरे होने को हैं और डॉक्टर प्रदेश सरकार से बिल वापसी की मांग पर अड़े हुए हैं। डॉक्टरों की हड़ताल से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं। डॉक्टरों को कहना है कि जब तक सरकार बिल वापस नहीं लेती वे काम शुरू नहीं करेंगे। इसको लेकर शहर के 23 प्राइवेट अस्पतालों के संचालकों ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन के माध्यम से डॉक्टरों ने एक बार फिर से अपनी मांग दोहराई। डॉक्टरों ने कहा कि वे सरकार की चिरंजीवी और राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) के तहत इलाज नहीं करेंगे। निजी अस्पतालों के संचालक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बैनर तले जिले के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर लक्ष्मण सिंह से मिले और अपनी बात रखी।

बेवजह की हड़ताल कर रहे डॉक्टर

वहीं दूसरी ओर 17 दिन से जारी हड़ताल से लोग भी परेशान हो गए हैं। वे इलाज के लिए भटक रहे हैं। प्राइवेट अस्पताल पहुंचने पर निराशा हाथ लग रही है। यहां किसी तरह का इलाज नहीं किया जा रहा, ये कह कर अस्पताल से वापस कर दिया जा रहा है। इसको लेकर लोगों में नाराजगी बनी हुई है। लोगों को कहना है कि सरकार ने लोगों के हितों का ध्यान रखते हुए बिल पेश किया है, जोकि अच्छा है। डॉक्टर बेवजह की हड़ताल कर रहे हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भरतपुर के जिलाध्यक्ष डॉक्टर कमलेश शर्मा ने बताया कि राइट टू हेल्थ बिल को वापसी की मांग को लेकर 23 निजी अस्पतालों ने कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य का अधिकार बिल डॉक्टरों और जनता के पक्ष में नहीं है।