नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने खाड़ी देशों के लिए हवाई यात्रा किराए में कटौती या अधिकतम सीमा तय करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से मनाकर दिया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिका का निपटारा कर कहा कि याचिकाकर्ताओं केरल प्रवासी एसोसिएशन और अन्य के लिए उच्च न्यायालय का सहारा लेना उचित होगा। याचिका में कहा गया है कि एयरलाइन कंपनियां किराया बढ़ाकर भारतीय यात्रियों को दंडित कर रही हैं, जबकि विदेश यात्रा का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित सम्मान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का एक अभिन्न अंग है। केएमएनपी लॉ के वकील कुरियाकोस वर्गीस और वी. श्याममोहन के माध्यम से दायर याचिका में भारतीय विमानन अधिनियम के नियम-135 को चुनौती दी गई है, जो एयरलाइंस को टिकट की कीमतें तय करने का अधिकार देता है।
इसमें कहा गया है कि एयरलाइन को टैरिफ तय करने की अबाधित शक्ति दी गई है, क्योंकि टैरिफ निर्धारण पर कोई दिशानिर्देश या स्पष्टता नहीं है। एसोसिएशन ने एयरलाइन कंपनियों की कार्रवाई के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में भी इसी तरह की याचिका दायर की थी। लेकिन, उच्च न्यायालय ने नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) को एक विस्तृत और विस्तृत प्रतिनिधित्व दायर करने की छूट देते हुए याचिका को वापस ले लिया।