इटारसी ।  आदिवासी विकाससखंड केसला के एक गांव में अपनी ही सगी मासूम भतीजी से दुष्कर्म कर नृशंस हत्या करने वाले कलियुगी फूफा को कोर्ट ने सजा-ए-मौत का ऐलान किया है। मासूम के साथ हुई हैवानियत का फैसला देने के लिए घटना से मात्र 90 दिनों में फास्ट ट्रेक कोर्ट का फैसला आ गया। पुलिस, न्यायालय और अभियोजन ने तत्परता से पूरे मामले में कार्रवाई की। इटारसी कोर्ट के न्यायालयीन इतिहास में फांसी की सजा का यह पहला मुकदमा है। इस प्रकरण को लेकर कोर्ट में खासी गहमागहमी रही।

यह है मामला

द्वितीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुश्री सविता जड़िया ने मंगलवार को बहुचर्चित प्रकरण के दोषी 22 वर्षीय राहुल कवड़े पिता गुण्डल लाल कवड़े निवासी डाबरी थाना बीजादेही जिला बैतूल को धारा 376 ए-बी में मृत्युदण्ड, धारा 376-2 बी में आजीवन कारावास, 302 भादवि में मृत्युदंड, धारा 363 में 3 वर्ष के कारावास, धारा 5 एम-6 में मृत्युदंड समेत 26 हजार रुपये का जुर्माना किया है। जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने बताया कि मृतका के पिता ने बताया कि वे लोग चार बहन-भाई हैं, वह उसका भाई मनोज, गुलशन एवं उसकी बहन संजना हैं, जिसकी शादी डाबरी के राहुल कवड़े से हुई है। उसके दोनों बच्चे गांव के स्कूल में पढ़ते हैं। 17 नवंबर 2022 को गुरुवार की रात उसका बहनोई राहुल कवड़े बाइक से उसके घर मेहमानी के लिए आया। शुक्रवार को वह अपनी पत्नी के साथ मजदूरी करने रैसलपाठा गए थे, छोटा भाई मजदूरी करने सुबह 6 बजे इटारसी आ गया। उसके पिता रात में ही खेत गए थे, घर पर उसकी मां और दोनों बच्चे और बहनोई राहुल अकेला था। शाम को दंपत्ति घर पहुंचे तो मां ने बताया कि बच्ची सुबह 11 बजे राहुल के साथ गई थी, राहुल तो 12 बजे आ गया, लेकिन बच्ची नहीं आई। राहुल ने पूछताछ में कहा कि वह अभियोक्त्री को दुर्गेश की दुकान के पीछे छोड़कर दारू भट्टी सुखतवा गया था। संदेह होने पर रात में ग्रामीणों ने आसपास तलाश की, इसके बाद पुलिस को खबर दी। राहुल कवड़े खुद अनजान बनकर पुलिस को काल करने लगा। पुलिस ने घटना की देर रात प्रूफ रेंज के जंगल से बच्ची का अर्धनग्न शव बरामद किया। आखिरी बार बच्ची के साथ जाते हुए गांव के एक किराना व्यापारी ने देख लिया था। अपर लोक अभियोजक राजीव शुक्ला ने बताया कि फांसी की सजा के फैसले पर स्थानीय न्यायालय हाईकोर्ट को प्रकरण पेश करेगा, यहां उच्च न्यायालय विचार करते हुए सजा यथावत रखता है तो प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली जाएगा। इस दौरान अभियुक्त जेल अपील या परिवार की मदद से क्षमादान याचिका कर सकेगा। यदि सर्वोच्च न्यायालय भी सजा जारी रखते हुए दोनों न्यायालयों के फैसले को मंजूर करता है तो फिर अंतिम फैसले के लिए इसे राष्ट्रपति के समक्ष भेजा जाएगा, दूसरी बार फांसी सजा माफी के लिए बंदी क्यूरेटिव याचिका दायर कर सकता है, यदि राष्ट्रपति भी क्षमादान याचिका मंजूर कर देते हैं, तब हाईकोर्ट इस फैसले के तहत फांसी की सजा के लिए दिन-तारीख मुर्करर करते हुए न्यायालय को सूचित करेगा।

कुबूल कर लिया गुनाह

अभियुक्त राहुल ने मुलजिम पेशी में अपना गुनाह कुबूल करते हुए बताया कि वह 18 नवंबर की सुबह बाइक से बच्ची को चाकलेट दिलाने के बहाने ले गया था। रात भर से वह शराब पी रहा था। जंगल में पेड़ के नीचे दुष्कर्म किया। बच्ची द्वारा घर पर इसकी शिकायत करने का कहने पर उसने गला दबाकर मौके पर उसकी हत्या कर दी थी। तत्कालीन थाना प्रभारी गौरव बुंदेला ने एसपी डा. गुरकरन सिंह के मार्गदर्शन में 10 दिनों में आरोप पत्र तैयार कर न्यायालय में पेश किया। संचालक अभियाेजन अन्वेष मंगलम के मार्गदर्शन में अभियोजन पक्ष ने प्रकरण में 34 गवाहों की पेशी कराई, साथ ही 122 दस्तावेज न्यायालय के समक्ष रखे। मात्र 21 दिनों की ट्रायल अवधि में प्रकरण का निराकरण हो गया। शासन की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा एवं पैरवीकर्ता अति. जिला अभियोजन अधिकारी एचएस यादव ने अंतिम तर्क पेश किए। पैरवी के दौरान सहा. जिला अभियोजन अधिकारी रविन्द्र अतुलकर, मनोज जाट ने अभियोजन सहयोग दिया। न्यायालय ने मृतका के स्वजनों को 5-5 लाख रुपये की प्रतिकर राशि दिलाने का आदेश भी जारी किया।

चेहरे पर नहीं दिखी शिकन

फैसले की घड़ी में अभियुक्त राहुल कड़ी सुरक्षा में कोर्ट लाया गया, फांसी की सजा सुनने के बावजूद उसके चेहरे पर तनाव या शिकन नजर नहीं आई। गिरफ्तारी के बाद से वह सलाखों के पीछे है। मृतका की बुआ और राहुल की पत्नी ने खुद अपने हैवान पति को फांसी की सजा देने की मांग की थी। इस जघन्य वारदात के बाद केसला में जनाक्रोश सामने आया था। लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर दुष्कर्मी हत्यारे फूफा को मौत की सजा देने की मांग की थी।

यह रहा खास

15 दिन में ट्रायल शुरु हुआ था, जघन्य कांड 18 नवंबर को हुआ, 30 नवंबर को पुलिस ने चालान पेश किया। इसी दिन चार्ज भी तैयार कर 15 दिन में ट्रायल शुरू हो गया। घटना की रात 11 बजे एसपी डा. गुरकरन सिंह ने जंगल में सर्च अभियान को लीड किया। 5 घंटे मोबाइल और इमजरेंसी लाइट की रोशनी में तड़के 4 बजे शव बरामद हुआ। पांच थानों का फोर्स इस खोजबीन में तैनात रहा।