केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने पीएम को दिया प्रस्ताव, टीएमसी ने किया विरोध

कोलकाता। केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने उत्तर पश्चिम बंगाल को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डोनर) के अंतर्गत शामिल करने का प्रस्ताव रखने की बात कही। उनके इस बयान से नया विवाद शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसदों ने इसे अलगाववादी कदम बातया है। उन्होंने कहा कि इसे लागू नहीं किया जा सकता। वहीं बीजेपी सांसदों ने मजूमदार के इस प्रस्ताव का बचाव किया है। बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख मजूमदार ने कहा कि उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए उत्तर पश्चिम बंगाल को डोनर मंत्रालय के अंतर्गत शामिल करने का प्रस्ताव पीएम मोदी को दिया है। केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री ने इससे जुड़ा एक वीडियो बुधवार को जारी किया था। इसमें उन्होंने बताया कि वह पीएम मोदी से मिले और प्रस्ताव दिया कि पश्चिम बंगाल का हिस्सा होते हुए भी उत्तर बंगाल पूर्वोत्तर के साथ समानताएं साझा करता है इसलिए इसे मंत्रालय के तहत पूर्वोत्तर में शामिल किया जाए।
केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर टीएमसी नेता सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि बंगाल कभी विभाजित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि गोरखालैंड की मांग उठी थी...तब पश्चिम बंगाल के लोगों ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि सुकांत मजूमदार को याद रखना चाहिए कि बंगाल के लोग ऐसी मांग बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर वे इस तरह की बात करेंगे तो जिस तरह से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) और कांग्रेस शून्य हो गए हैं ठीक उसी तरह बंगाल में बीजेपी भी शून्य हो जाएगी।
टीएमसी शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि बीजेपी के पास न तो क्षमता है और न ही दूरदर्शिता। कल वे कहने लगेंगे कि हम आंध्र या तमिलनाडु को विभाजित करेंगे। जब उनके पास 303 सांसद थे, तब वे ऐसा नहीं कर पाए। अब मोदी सरकार भी नहीं है। यह एनडीए सरकार है। उनके पास 240 सांसद हैं और विपक्ष के पास भी करीब इतना ही संख्या बल है।
वहीं बीजेपी सांसद अनंत महाराज ने मजूमदार के प्रस्ताव का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मजूमदार सही हैं। उत्तर बंगाल को पूर्वोत्तर क्षेत्र में शामिल किया जाना चाहिए। उत्तर बंगाल को ग्रेटर कूचबिहार भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि यह पश्चिम बंगाल को विभाजित करने के बारे में नहीं है। उत्तर बंगाल कभी पश्चिम बंगाल था ही नहीं। महाराज ने कहा कि इसे पश्चिम बंगाल में मिला दिया गया। यह एक असंवैधानिक कदम था...इसे फिर से स्थापित किया जाना चाहिए और जितनी जल्दी हो सके ग्रेटर कूचबिहार को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाना चाहिए।