लखनऊ | प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला किया है। बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और आंधी-तूफान से खराब हुआ गेहूं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदा जाएगा। केंद्र ने हाल ही में टूटे-सिकुड़े और कम चमक वाले गेहूं को सरकारी क्रय केंद्रों पर खरीदने की सहमति तो दे दी थी, पर समर्थन मूल्य में कटौती की शर्त के साथ। दाम में इस अंतर की भरपाई राज्य सरकार करेगी।प्रदेश में विभिन्न खरीद एजेंसियों के 5674 क्रय केंद्रों पर 2125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों से गेहूं खरीदा जा रहा है। मार्च में हुई बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से बड़े पैमाने पर गेहूं की गुणवत्ता प्रभावित हुई थी। इसलिए यूपी सरकार ने केंद्र से खराब गुणवत्ता के गेहूं को बिना किसी कटौती के एमएसपी पर खरीदने का अनुरोध किया था।

केंद्र के मानक के अनुसार अधिकतम 6 फीसदी सिकुड़े-टूटे दाने वाला गेहूं की एमएसपी पर खरीदा जा सकता है।केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने यूपी के अनुरोध पर 13 अप्रैल को कमतर क्वालिटी का गेहूं भी खरीदने की सहमति दे दी। साथ ही कहा कि सिकुड़न व टूटन अधिकतम 18 प्रतिशत ही स्वीकार की जाएगी। 6 फीसदी की सीमा से ज्यादा सिकुड़न व टूटन होने पर हर दो फीसदी पर 5.31 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कटौती होगी। केंद्रीय मंत्रालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि गेहूं के दानों की चमक 10 प्रतिशत तक कम होने पर कोई कटौती नहीं होगी।

10-80 प्रतिशत तक चमक कम होने पर दाम में प्रति क्विंटल 5.31 रुपये की दर से कटौती होगी।इसमें किसानों की उस मांग को उठाया गया था कि खराब क्वालिटी के दाम में अंतर की भरपाई प्रदेश सरकार करे। यूपी के खाद्य एवं रसद विभाग के आयुक्त सौरभ बाबू ने शुक्रवार को जारी आदेश में कहा है कि शासन ने मौसम से खराब गेहूं के गुणवत्ता मानकों में छूट दे दी है। 80 प्रतिशत की सीमा तक चमकविहीन और 18 प्रतिशत तक की सीमा तक सिकुड़े व टूटे हुए दाने वाले गेहूं की खरीद बिना किसी कटौती के समर्थन मूल्य पर की जाएगी। मानक पूरे करने वाले गेहूं की खरीद भी यथावत जारी रहेगी।