जयपुर । राजस्थान में साल 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। लेकिन सवाल यह है कि राजस्थान में भाजपा का नेतृत्व इस बार कौन करेगा? हालांकि आज से 5 से 7 साल पहले यह सवाल पूछा जाता तब सब एक ही जवाब मिलता था वसुंधरा राजे। लेकिन अब वसुंधरा के लिए भी परिस्थितियां बदली हुई दिखाई दे रही है। चेहरे को लेकर ना सिर्फ भाजपा में बल्कि सत्तारूढ़ कांग्रेस में भी असमंजस की स्थिति बरकरार है। अगर हम भाजपा की बात करें तब राजे को लेकर फिलहाल सहमति नहीं बन पा रही है। इसके बाद सवाल यह है कि क्या फिर से भाजपा वसुंधरा राजे को लेकर ही आगे बढ़ेगी या किसी ने नेता पर दांव लगाएगी? हालांकि अभी भी वसुंधरा राजे का कद राजस्थान में बहुत बड़ा है। इसके बाद उनके नाम को लेकर भी लगातार चर्चा हो रही है। वसुंधरा राजे के अलावा जिन नामों की चर्चा है उसमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला शामिल है। 
अब इसमें एक नाम और भी जुड़ता दिखाई दे रहा है। वह नाम है केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का है। लेकिन पार्टी यह भी मानती है कि प्रसिद्धि और स्वीकार्यता के मामले में राजे अभी भी राजस्थान में सबसे लोकप्रिय हैं। उनके कद का भाजपा में कोई नेता नहीं है। इसके बाद सूत्रों का दावा है कि कहीं ना कहीं पार्टी नेतृत्व वसुंधरा राजे के ही नेतृत्व में आगे बढ़ने पर विचार कर रही है। असमंजस की स्थिति में वसुंधरा राजे को एक बार फिर से फायदा होता दिखाई दे रहा है। सूत्र बताते हैं कि अगर पार्टी नेतृत्व वसुंधरा राजे के अलावा किसी और को लेकर कोई प्लान बना रहा होता तब अब तक कई बड़े कदम उठाए गए होते। 
पार्टी को पता है कि वसुंधरा राजस्थान में जमीनी स्तर पर काफी लोकप्रिय हैं। पार्टी के कोर कार्यकर्ता भी उनके समर्थन में रहे हैं। इसके बाद वसुंधरा राजे को नाराज कर पार्टी को बहुत ज्यादा फायदा नहीं हो सकता है। जिस तरीके से कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तनातनी है अगर वैसी ही स्थिति भाजपा में बनती है तब कहीं ना कहीं पार्टी को नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि भाजपा सुरक्षात्मक तौर पर वसुंधरा को ही आगे लेकर चल सकती हैं। वसुंधरा समर्थक लगातार उनके नाम को लेकर मुख्यमंत्री पद की मांग करते रहे हैं। माना जा रहा है इस 16-17 जनवरी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस मसले पर चर्चा के बाद कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।