भोपाल।  पखवाड़ा भर पहले हुए मंत्रिमंडल-विस्तार को दरकिनार कर दें तो मौजूदा सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में महाकौशल से कोई मंत्री नहीं था। मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व के नजरिए से कांग्रेस ने महाकोशल को लेकर दरियादिली दिखाई थी। यहां से तीन कैबिनेट मंत्री थे। इसी को अपनी ताकत बताते हुए कांग्रेस, मौजूदा सरकार पर हमलावर है। वो सरकार पर क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगा रही है।
कांग्रेस के इस हमले की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह कह कर हवा निकालने में जुटे हैं कि महाकौशल को उन्होंने गोद ले रखा है। क्षेत्र का विकास ज्यादा जरूरी है। कांग्रेस के करीब सवा महीने के शासन काल में महाकौशल से तरुण भनोत, लखन घनघोरिया और ओंमकार सिंह मरकाम कैबिनेट मंत्री रहे। तीनों के पास महत्वपूर्ण मंत्रालय थे। जबकि शिवराज सरकार में पखवाड़ा भर पहले कैबिनेट मंत्री बनाए गए गौरीशंकर बिसेन को छोड़ दें तो तीन साल तक महाकौशल से कोई मंत्री नहीं रहा।
महाकौशल में 38 विधानसभा सीटें आती हैं। यहां 2018 में कांग्रेस को बड़ी बढ़त मिली थी। यहां उसके खाते में 24 तो भाजपा के पास महज 13 सीटें रहीं। इतने के बावजूद यहां से किसी को भी मंत्रिमंडल में नहीं लिए जाने को कांग्रेस क्षेत्र की प्रतिष्ठा और उपेक्षा से जोडक़र प्रचारित कर रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मौजूदा सरकार में महाकौशल से लंबे समय तक कोई मंत्री नहीं रहा। गौरीशंकर बिसेन को भी उस समय मंत्रिमंडल में लिया, जब बहुत कुछ कर पाने का वक्त बचा नहीं है। बावजूद इसके मुख्यमंत्री मंचों पर यह बात कह चुके हैं कि क्षेत्र का विकास उनकी जिम्मेदारी है।