मुंबई । भारत में बैंक और बीमा कंपनियों पर साइबर हमले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। इन पर करोड़ों ग्राहकों का डेटा रखा हुआ है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, कोटक महिंद्रा बैंक, टर्टलमिंट जैसी कंपनियां साइबर हमले का शिकार हो चुकी हैं। 8 जुलाई को स्टेट बैंक के 12000 से ज्यादा कर्मचारियों का डाटा टेलीग्राम चैनलों पर क्लिक हो गया था जिसमें कर्मचारियों के व्यक्तिगत जानकारी नाम पते कांटेक्ट नंबर पासबुक आधार कार्ड पर नंबर इत्यादि शामिल थे
4 जुलाई को रेशमवेयर ग्रुप ने कंपनी का संवेदनशील डाटा डार्क वेब पर जारी किया इसमें 57000 पूर्व एवं मौजूदा कर्मचारियों के नाम पत्र और उनकी जानकारियां लीक हो गए
बीमा कंपनी टाइटल मिनट की वेबसाइट पर 11 जुलाई को डाटा लीक हुआ इसमें कार इंश्योरेंस से संबंधित डाटा था 19 लाख से अधिक व्यक्तियों का डेटा हैकर के फोरम पर चला गया।
इसी तरह ईडीएफसी फर्स्ट बैंक के डाटा में भी रूसी हैकर फोरम पर एक डाटाबेस का नमूना पोस्ट किया गया। जिसमें कर्मचारियों की संवेदनशील जानकारियां थी। हैकर इसे बेचना चाहते थे। जुलाई में यही डाटा बिक्री के लिए अन्य प्लेटफार्म पर भी रखा गया।
भारत में जिस तरह से बैंकों और बीमा कंपनियों के सरवर पर हैकरों के हमले हो रहे हैं।ग्राहकों कर्मचारियों और अधिकारियों की जानकारियां सर्वर से उड़ा कर ले जा रहे हैं। भारत में जिस तरह से बैंक बीमा कंपनी और अन्य संस्थान ग्राहकों की सारी जानकारी अपने सर्वर मे रखते हैं। वह जानकारी लीक हो जाने के कारण, करोड़ों बैंक के ग्राहकों और बीमा कंपनियों के ग्राहकों से जालसाजी की संभावनाएं भी बढ़ती चली जा रही हैं। साइबर अपराधी अब सीधे ग्राहकों को निशाना बना रहे हैं।हाल ही में बैंक ऑफ बड़ौदा का बड़ा घोटाला सामने आया है।जिसके बारे में अभी तक यह पता नहीं लग पा रहा है,कि यह डाटा कहां से लीक हुआ है। बिना कार्ड के कैसे बैंक खातेदारों के पैसे एटीएम से निकाल लिए गए। साइबर क्राइम इस बारे में अभी तक कोई पता नहीं लगा पाया है। बैंक भी चुप्पी साध कर बैठा हुआ है।