श्री गंगानगर। 2024 के चुनाव से ठीक 53 दिन पहले राजस्थान सरकार ने दो बड़े फैसले किए। इसका सीधा असर, राजस्थान के उस इलाके में होना तो तय ही है, जो तीन खेती कानूनों को लेकर नाराज था। तीन खेती कानूनों को लेकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाद अगर किसी इलाके के किसान सबसे ज्यादा नाराज थे तो वह राजस्थान के श्रीगंगानगर इलाके के किसान...।

विधानसभा के चुनाव में उन्होंने यह गुस्सा निकाला भी।अब लोकसभा के चुनाव में इस गुस्से को शांत करने के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार ने दो बड़े फैसले लिए हैं जिसका प्रभाव बीकानेर संभाग(जिसमें दो संसदीय सीटें श्रीगंगानगर और बीकानेर पड़ती हैं) में पड़ना लाजिमी है। पहला, किसानों को गेहूं की फसल पर 125 रुपए को बोनस देना, दूसरा डीजल और पैट्राेल के दामों को कम करना। दोनों का प्रभाव पंजाब, हरियाणा के साथ लगती इस बेल्ट पर भी पड़ना लाजिमी है, खासतौर पर 125 रुपए गेहूं पर बोनस का....।

क्या उठेगी बोनस की मांग?

क्योंकि सबसे ज्यादा गेहूं पैदा करने वाले ये दो राज्य ही हैं। उनके किसान भी आने वाले समय में इस प्रकार के बोनस की मांग अपनी अपनी राज्य सरकारों से कर सकती हैं। राजस्थान में गेहूं की कुल पैदावार 20 लाख टन होने का अनुमान है जो पंजाब व हरियाणा के मुकाबले काफी कम है। चूंकि पूरे राज्य का 60 फीसदी गेहूं केवल श्रीगंगानगर संभाग से ही आता है इसलिए यहां के किसान सरकार के इन फैसलों से तीन खेती कानून लागू करने वाली नाराजगी भूल जाएंगे या फिर इन लोकसभा चुनाव में अपना गुस्सा निकालेंगे।

ऐसा है गंगानगर संसदीय सीट का समीकरण

विधानसभा के चुनाव में वे यह गुस्सा निकाल चुके हैं, इसलिए श्री गंगानगर संसदीय सीट के अधीन आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से छह कांग्रेस के पास हैं और दो भारतीय जनता पार्टी के पास है। जबकि प्रदेश में भाजपा की सरकार है। यहां यह दलील केवल इसलिए दी जा रही है क्योंकि पूर्व गहलोत सरकार ने चुनाव में दोबारा बाजी मारने के लिए प्रदेश के लोगों के लिए कई ऐसी योजनाएं शुरू कीं जिसका सीधा सीधा लाभ प्रदेश के लोगों को हुआ लेकिन इसके बावजूद लोगों ने राज्य में पिछली सरकार को रिपीट न करने की परंपरा को बरकरार रखा।

जारी है सौगातों की प्रथा

संसदीय चुनाव में कोई वर्ग नाराज न हो, इसलिए सौगातें देने की गहलोत की प्रथा को भाजपा सरकार ने भी जारी रखते हुए किसानों के लिए 125 रुपए प्रति क्विंटल बोनस और डीजल, व पेट्रोल के दामों में भारी कमी की। अब देखने वाली बात यह है कि क्या इस सौगात का असर कुबूलते हुए इस संभाग के मतदाता कमल का फूल खिलाते हैं या हाथ को मजबूत करते हैं।

सौगातों पर क्या कहते हैं मतदाता?

श्रीगंगानगर के भाजपा विधायक जयदीप बिहानी का कहना है कि इन दो फैसलों का किसानों पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। वह भाजपा के साथ आ गए हैं। जबकि दूसरी ओर इलाके के मतदाताओं का कहना है कि सौगातों से वोट तय नहीं होते। ऐसा होता तो पूरे प्रदेश में अशोक गहलोत फिर से आ जाते। जिले के गांव तारकांवाली के विक्रम सिहाग का कहना है कि अशोक गहलोत ने 500 रुपए का सिलेंडर, 432 रुपए के राशन वाली फूड किट, आठ हजार रुपए का महिलाओं को मोबाइल, लंपी स्किन बीमारी से मरने वाले पशुओं के मालिकों को दो गाय खरीदने का मुआवजा, सौ यूनिट निशुल्क बिजली और मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में 25 लाख तक का इलाज और सड़क दुर्घटना में मरने वालों को पांच लाख रुपए दिए थे, लेकिन फिर भी वह कांग्रेस को चुनाव नहीं जितवा पाए।

बीजेपी-कांग्रेस के ये प्रत्याशी हैं मैदान में

बीकानेर संभाग की श्रीगंगानगर और बीकानेर दोनों सीटें आरक्षित हैं। श्रीगंगानगर से भाजपा ने पांच बार के सांसद रहे निहाल चंद मेघवाल की जगह प्रिंयका मेघवाल को टिकट दिया है, तो कांग्रेस ने कुलदीप इन्दौरा को उतारा है। जबकि संभाग की दूसरी सीट बीकानेर में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल जो लगातार तीन बार से सांसद चले आ रहे हैं, का गोविंद राम मेघवाल से सीधा मुकाबला है। बसपा के उम्मीदवार खेतराम मेघवाल भी तीसरा कोण बनने की कोशिश कर रहे हैं। बीकानेर संसदीय सीट के अधीन आने वाली आठ विधानसभा सीटों में स्थिति श्रीगंगानरग से बिल्कुल विपरीत है। यहां दो पर कांग्रेस और छह पर भाजपा का कब्जा है।

ठंडा चुनाव...

दिलचस्प बात यह है कि श्रीगंगानगर के हरे भरे खेतों से होता हुआ यह संभाग बीकानेर के रेतीले टीलों तक जाता है, लेकिन कहीं भी यह महसूस नहीं होता कि इस संभाग की इन दोनों महत्वपूर्ण सीटों पर कोई चुनाव हो रहा है। कहीं कोई झंडा, पोस्टर नहीं, न ही कोई चुनाव प्रचार करते ऑटो रिक्शा या अन्य वाहन। उम्मीदवार या तो बड़े नेताओं की रैलियां कर रहे हैं या फिर छोटी छोटी बैठकें।