उदयपुर । देहदान को महादान की संज्ञा दी जाती है। हर साल 13 अगस्त को यह दिन ऑर्गन डोनेशन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है, ताकि किसी को नई जिंदगी मिल सके। विशेषज्ञों के अनुसार एक इंसान अंगदान करके 7 लोगों का जीवन बचा सकता है। इसी कड़ी में उदयपुर के आरएनटी के एनाटॉमी विभाग, लच्छीराम हंजा बाई सुखलेचा चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से जन जागरूकता लाकर आरएनटी मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में 1995 से साल 2022 तक 312 देहदान हुए हैं। और 643 लोगों ने देहदान करने का संकल्प ले चुके है।
देहदान का आंकड़ा 2009 से बढ़ा है। इस दरमियान अब तक 301 देहदान हुए। इनमें से 132 स्वैच्छिक थे, जबकि 169 वे शव थे, जिन्हें लेने कोई नहीं आया। इनमें से 140 शवों को प्रदेश के 19 जिलों के राजकीय एवं निजी मेडिकल, आयुर्वेद और होम्योपैथिक कॉलेजों को शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए दिया गया है। यह बात एनाटोमी विभागाध्यक्ष डॉ. घनश्याम गुप्ता ने बताया कि आरएनटी के विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए एक साल में 25 देह (कैडेवर्स) की जरूरत होती है। आरएनटी मेडीकल कॉलेज प्रदेश का पहला ऐसा मेडिकल कॉलेज है, जहां सब अधिक देहदान किए गए है।
आरएनटी के एनाटॉमी विभाग, लच्छीराम हंजा बाई सुखलेचा चेरिटेबल ट्रस्ट एवं महर्षि दधीचि सेवा संस्थान के साझे में देहदान चेतना रैली निकाली जाती हैं जिससे देहदान के प्रति लोगों की जागरूकता को बढ़ाया जा सके। रवींद्र नाथ टैगोर मेडाकल कॉलेज परिसर में 24 मार्च, 2021 में कॉलेज में स्व. सौभाग मल जैन की स्मृति में देहदान स्मारक बनाया गया। यह भारत का एकमात्र देहदान स्मारक है। अगर कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से देहदान करना चाहता है तो इसके लिए कोई भी कठोर नियम नहीं है। वह मेडिकल कॉलेज के एनाटोमी विभाग में जा कर एक शपत पत्र भर सकता है।