आज निकलेगा चल समारोह, उमड़ेंगे शहरवासी

भोपाल । राजधानी में डोल ग्यारस का पर्व आज धूमधाम से मनाया जाएगा। इस मौके पर अलग-अलग स्थानों पर रथ पर सवार होकर भगवान श्री विष्णु नगर भम्रण करेंगे। भगवान के रथ के साथ ही रथों में विनायक भगवान भी रहेंगे। चल समारोह विभिन्न समाजों व समितियों द्वारा निकाला जाएगा। साथ ही काफी संख्या में श्रीगणेश भगवान की मूर्तियों को तलाबों व घाटों में गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ के जयकारों के साथ विसर्जन किया जाएगा। श्रद्धालुओं द्वारा व्रत-उपवास व विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। साथ ही गाजे-बाजे के साथ भव्य चल समारोह निकाले जाएंगे। जिसमें शहर के कई डोल शामिल होंगे। डोल ग्यारस समारोह समिति द्वारा परंपरागत चल समारोह निकाला जाएगा। चल समारोह चौक बाजार से शुरू होगा, जो लखेरापुरा, सोमवारा, इमामबाड़ा, जवाहर चौक, जुमेराती, इब्राहिमपुरा, सुल्तानिया रोड, बुधवारा, काली मंदिर, होते हुए खटलापुरा घाट पर संपन्न होगा। शहर में विभिन्न स्थानों पर विराजित की गई श्रीगणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। मुख्य रूप से पीपल चौक स्थित भोपाल में पहली बार विराजित होने वाले श्री गणेश का विसर्जन यहां होगा। यहां विराजमान श्री गणेश प्रतिमा को भोपाल के राजा के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा 190 से अधिक छोटी व बड़ी प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। गणेशोत्सव के छठवें दिन रविवार को पुराने शहर में पीपल चौक पर विराजे भोपाल के राजा को 351 किलो लड्डूओं का भोग लगाया गया। गणपति बप्पा की आरती की गई। विधि-विधान से पूजन करके लड्डूओं का भोग लगाया। इसके बाद प्रसादी का वितरण किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में सराफा व्यापारी व श्रद्धालु मौजूद रहे। मां चामुडां दरबार के पुजारी पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि कृष्ण जन्म के 18वें दिन माता यशोदा ने पूजन किया था। इसी दिन को डोल ग्यारस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को डोल में बैठाकर तरह-तरह की झांकी के साथ शोभा यात्रा निकाली जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप का पूजन होता है। मान्यता है कि डोल ग्यारस के दिन ही माता यशोदा ने बालगोपाल कृष्ण को नए वस्त्र पहना कर सूरज देवता के दर्शन करवाए। उनका नामकरण किया था। डोल ग्यारस के दिन मथुरा-वृंदावन के साथ ही अन्य धार्मिक स्थलों पर मेले आदि लगते हैं व माता यशोदा की गोद भरी जाती हैं। वहीं मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण को झूले में विराजमान कराकर विशेष पूजा अर्चना व रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है।