रायपुर | 'डॉक्टर अभिषेक पल्लव को तो पक्का जानते होंगे, सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय है।' कुछ इस तरह छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आईपीएस ऑफिसर अभिषेक पल्लव की तारीफ की थी। हमेशा सौम्य तरीके से बातचीत करने वाले अभिषेक पल्लव ने बस्तर और दंतेवाड़ा जैसे इलाकों में रहकर लोगों का दिल जीत लिया है।

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एसपी पद पर तैनात अभिषेक पहले डॉक्टर थे। कई नक्सलियों का एनकाउंटर करने वाले अभिषेक की डॉक्टर से आईपीएस अधिकारी बनने की जर्नी कैसी रही, आइये डालते है उनकी सक्सेस स्टोरी पर एक नजर।

डॉक्टर से आईपीएस बनने की जर्नी

बिहार के बेगुसराय जिले के रहने वाले आईपीएस अभिषेक पल्लव का जन्म 2 सितंबर, 1982 को हुआ था। वर्ष 2009 में उन्होंने एम्स से अपनी एमडी की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद साल 2012 में UPSC में सिविल सेव परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी बने। पिता के आर्मी में होने के कारण उनकी प्रारंभिक शिक्षा आर्मी स्कूल में हुई। अभिषेक का बचपन से ही आईपीएस अधिकारी बनने का सपना था, जोकि पूरा भी हुआ।

पहली पोस्टिंग दंतेवाड़ा

अभिषेक पल्लव की पहली पोस्टिंग छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एडिशनल एसपी एंटी नक्सल ऑपरेशन के रूप में हुई। तीन साल तक यहां काम करने के बाद वह कोंडागांव के एसपी बने। यहां उन्होंने लगभग एक साल तक काम किया फिर दंतेवाड़ा में एसपी के पद पर काबिज हुए।

पत्नी के साथ लगाते है मेडिकल कैंप

IPS अभिषेक पल्लव की पत्नी यशा पल्लव भी स्किन की डॉक्टर है। 2016 से दोनों पति-पत्नी स्थानीय लोगों के लिए सुदूर नक्सली हिंसा प्रभावित गांवों में मेडिकल कैंप लगाते हैं। दोनों ने मिलकर अब तक सैकड़ों मेडिकल केंप लगाए हैं। इसमें स्वास्थ्य समस्याओं से लेकर एंबुलेंस के व्यवस्था की भी सुविधा दी जाती है। उनके कामों की काफी चर्चा होती है क्योंकि गांव में अगर कोई व्यक्ति किसी बड़ी बीमारी से पीड़ित होता है और उन्हें भी इसका पता चल जाता है तो वे उससे मिलने वहां जरूर जाते हैं।