हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन शीतला अष्टमी का व्रत बेहद ही खास माना जाता है। पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शीतला अष्टमी का व्रत पूजन किया जाता है।

आपको बता दें कि ये होली के आठवें दिन पड़ता है जिसमें देवी मां शीतला की विधिवत पूजा आराधना की जाती है। शीतला अष्टमी को कई जगहों पर बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है तो आज हम आपको इस व्रत पूजन से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे है।

आपको बता दें कि इस साल शीतला अष्टमी का व्रत 15 मार्च दिन बुधवार को किया जाएगा। इस दिन माता शीतला की विधिवत पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। मान्यता है माता के भोग के लिए एक दिन पहले ही सभी तैयारियां की जाती है और अष्टमी के दिन बासी भोजन का देवी मां को भोग लगाया जाता है और जिसके बाद इस प्रसाद को ग्रहण करने का विधान है। इसी कारण इस दिन को बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। बसौड़ा के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। यह पर्व ऋतु के परिवर्तन का संकेत होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन के बाद से बासी भोजन नहीं करना चाहिए वरना व नुकसान पहुंचा सकत है।

पूजन का मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 14 मार्च को रात्रि 8 बजकर 22 मिनट से हो रहा है और अष्टमी तिथि का समापन 15 मार्च को शाम 6 बजकर 45 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में इसी समय व्रत पूजन करना उत्तम रहेगा।