इंदौर । प्रदेश की इंदौर नगर निगम की 150 से ज्यादा फाइलों में फर्जीवाड़ा हुआ है। यह खुलासा हुआ है मामले की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट में। निगमायुक्त द्वारा गठित समिति ने शुक्रवार देर रात अपनी रिपोर्ट सौंप दी। इन फाइलों के जरिए 107 करोड़ रुपये के फर्जी बिल लगाए गए थे। इसमें से नगर निगम ने 81 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान कर भी दिया है।जिन कामों के एवज में यह भुगतान किया गया वो कभी हुए ही नहीं। न उनके लिए निगम ने कभी निविदा निकाली न विज्ञापन जारी किया। ठेकेदारों ने फर्जी दस्तावेज के जरिए फाइलें तैयार की और फिर ड्रेनेज विभाग से होते हुए इन्हें सीधे ऑडिट शाखा में पेश कर दिया। ऑडिट शाखा ने भी आंख मूंदकर इन फर्जी बिलों पर मुहर लगा दी। ठेकेदारों ने फर्जी बिलों में वर्ष 2016 से वर्ष 2020 के बीच काम होना दिखाया है।नगर निगम के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुनील गुप्ता की शिकायत पर एमजी रोड थाना पुलिस ने 16 अप्रैल 2024 को पांच फर्मों जाह्नवी इंटरप्राइजेज, क्षितिज इंटरप्राइजेज, किंग कंस्ट्रक्शन, नीव कंस्ट्रक्शन और ग्रीन कंस्ट्रक्शन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। आरोपियों ने करीब 28 करोड़ 73 लाख रुपये के फर्जी बिल प्रस्तुत कर तीन करोड़ 20 लाख रुपये का भुगतान भी प्राप्त कर भी लिया। मामले के संज्ञान में आने के बाद निगमायुक्त शिवम वर्मा ने इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने शुक्रवार रात रिपोर्ट उन्हें सौंप दी है। निगमायुक्त ने बताया कि कमेटी ने 188 फाइलों की जांच की। इसमें से 150 से ज्यादा फाइलों में फर्जीवाड़ा मिला है। इस आंकडे के और बढ़ने की आशंका भी है। 10 वर्षों की फाइलों की जांच की कमेटी ने पिछले 10 वर्ष की फाइलों की जांच की है। इन सभी में यह बात सामने आई है कि आरोपित पिछले वर्षों में काम बताकर दो-तीन वर्ष बाद बिल प्रस्तुत करते थे। ड्रेनेज विभाग का ज्यादातर काम जमीन के भीतर होने से इसकी जांच करना आसान नहीं होता। आरोपित इसी का फायदा उठाते थे।