जयपुर । स्पर्श प्यार और लगाव का प्रतीक होता है। यह अपनेपन और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाने वाली मानवीय प्रक्रिया है। जब किसी बच्चे को उसके अभिभावक या शिक्षक प्यार और अपनेपन की भावना के साथ छूते हैं तो यह स्पर्श बच्चे को सुखद अहसास कराता है, उसे सुरक्षित महसूस कराता है, लेकिन जब कोई अपरिचित गलत इरादे के साथ उसे छूता है तो वह स्पर्श उसे खऱाब अनुभूति कराता है। इसलिए यह जरूरी है कि बच्चों में अच्छे और बुरे स्पर्श की पहचान करने की समझ विकसित की जाये। यह समझ विकसित होने पर उन्हें शारीरिक और मानसिक शोषण से बचाया जा सकता है। बच्चों को स्पर्श का फर्क बताने के लिए राज्य सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा लगातार गुड टच-बेड टच अभियान चलाया जा रहा है।
दौसा में जिला कलक्टर कमर चौधरी ने विशेष पहल करते हुए जिले भर की करीब  2600 सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में यह अभियान चलाया, जिसके तहत लगभग साढ़े तीन लाख विद्यार्थियों को गुड टच—बेड टच की जानकारी दी गई। मिशन आर्या के तहत चलाये गए समझ-स्पर्शरी कैंपेिंनग में बच्चों को बताया गया कि जब माता-पिता, दादा-दादी और परिजन प्यार से छूते हैं, या स्कूल टीचर जब शाबाशी देते हैं, या फिर परिजन की मौजूदगी में जब डॉक्टर बच्चों के चेकअप करने के दौरान छूते हैं तो वह गुड टच है। जबकि कोई अपरिचित या परिचित शरीर के प्राइवेट पार्ट्स को छूता है तो वह बैड टच होता है। स्वयं जिला कलेक्टर ने भी एक दर्जन से ज्यादा स्कूलों में भ्रमण कर बालक-बालिकाओं से बात की तथा उनमें आत्मविश्वास पैदा किया। कलेक्टर के इस अभियान की एक तरफ जहां अभिभावक  सराहना कर रहे हैं तो वहीँ जिले के सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने भी भी इसे सार्थक पहल बताया।गुड टच व बैड टच के प्रशिक्षण के दौरान बच्चों को उनके कानूनी अधिकारों की भी जानकारी दी गई। इसके साथ ही बालिकाओं को माहवारी को लेकर जागरूक किया गया।  बच्चों को सिखाया गया कि बैड टच करने वाले का विरोध करने के साथ ही अपने परिजनों को उसके बारे में जानकारी दें. जिससे समय रहते कार्रवाई की जा सके।