भोपाल । दवाइयों के दाम में मनमानी जारी है। सामान्य व गंभीर बीमारियों की दवाइयों के दाम कम करने सरकार ने पिछले माह 84 दवाइयों पर प्राइज कंट्रोल ऑर्डर लागू किया था। इस ऑर्डर में दाम तय करने के साथ अधिकतम मार्जिन प्राइज भी तय की गई थी। लेकिन इस पूरी कवायद का कोई असर नहीं हुआ। कुछ दवाइयां पहले के दाम में ही मिल रही हैं तो कुछ के दाम 20-40 फीसदी तक बढ़ गए। फार्मा कंपनियां दवाइयों के ब्रांडनेम देने के साथ तय फॉर्मूले में अपनी ओर से किए गए फेरबदल के नाम पर इनकी कीमतें बढ़ा देती हैं। शहर में जेनेरिक दवाइयों की दुकानें कम हैं, इसलिए आम आदमी के पास ब्रांडनेम की महंगी दवाइयां खरीदने के अलावा विकल्प नहीं होता है।
एनपीए ने तय की थी कीमतें
नेशनल फार्मास्युटीकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने ड्रग्स (प्राइज कंट्रोल) ऑर्डर 2013 का सहारा लेते हुए 2023 दवाइयों की कीमतें तय की थीं। इसमें डायबिटिज, ह्रदयरोग, कोलेस्ट्रॉल, सिरदर्द, हाई ब्लडप्रेशर समेत अन्य बीमारियों की दवाइयां शामिल हैं।