मुझे सत्ता से कोई मोह नहीं, कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार हूं: उद्धव ठाकरे
नई दिल्ली । महाराष्ट्र की राजनीति में तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा। मुखयमंत्री उद्धव ठाकरे की किस्मत दांव पर है। शिव सेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने ठाकरे का सारा खेल बिगाड़ दिया है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्हें सत्ता से कोई मोह नहीं और वो अपनी कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार हैं। कुछ ऐसा ही वाकया 30 साल पहले यानी 1992 में हुआ था। उस वक्त शिव सेना के सुप्रिमो बाल ठाकरे ने भी इस्तीफे की पेशकश कर हर किसी को हैरान कर दिया था । दरअसल पार्टी के कई नेताओं ने उनकी कार्यशैली पर उस वक्त सवाल उठाए थे। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक बाल ठाकरे ने पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखा था, अगर एक भी शिवसैनिक मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ खड़ा होकर कहता है कि मैंने आपकी वजह से शिवसेना छोड़ी या आपने हमें चोट पहुंचाई, तो मैं एक पल के लिए भी शिवसेना प्रमुख के रूप में बने रहने के लिए तैयार नहीं हूं। बाल ठाकरे के इस लेख का शिव सैनिकों पर खासा प्रभाव पड़ा था । शिवसेना भवन के सामने लाखों कार्यकर्ता उनके समर्थन में जमा हो गए थे। इसके बाद पार्टी पर उनकी पकड़ और मजबूत हो गई थी। इसके बाद अगले 20 साल तक उन्हें इस तरह के विद्रोह का सामना कभी नहीं करना पड़ा। अब 30 साल बाद उद्धव ठाकरे भी उसी मोड़ पर पहुंच गए हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या उनकी भावुक अपील का एकनाथ सिंदे पर असर पड़ेगा।
कोरोना संक्रमित होने के चलते उद्धव ठाकरे फेसबुक के जरिए लाइव आए। उन्होंने कहा कि मेरे अपने विधायक मुझ पर विश्वास नहीं कर रहे हैं। अगर उन्हें लगता है कि मुझे मुख्यमंत्री नहीं रहना चाहिए तो सामने आकर बोलें, मैं तुरंत इस्तीफा दे दूंगा। मैं इस्तीफा के लिए तैयार हूं, लेकिन अगला मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा तो मुझे दिक्कत नहीं, बहुत खुशी होगी। तकलीफ इस बात की है कि एनसीपी और कांग्रेस मुझ पर भरोसा कर रहे हैं, लेकिन वो मेरे अपने नहीं। शिवसेना प्रमुख उम्मीद कर रहे होंगे कि ये भावनात्मक संबोधन उन सैनिकों के साथ तालमेल बिठाएगा जो पार्टी की तरह ठाकरे परिवार की शपथ लेते हैं। शिवसेना नेता पिछले दो दिनों से दोहरा रहे हैं कि अतीत में इस तरह के हर विद्रोह के बाद पार्टी मजबूत हुई है।