जयपुर । प्रदेश का चौथा टाइगर रिर्जव रामगढ़ विषधारी अभयारण्य से नये साल को दोहरी खुशिया की सौगात देने जा रहा है। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो जनवरी के प्रथम सप्ताह में टाइग्रेस रामगढ़ की वादियों में अपने शावकों को जन्म देगी। जिससे बून्दी जिले के इस टाइगर रिर्जव क्षेत्र में किलकारियां गूंजने वाली है।
अधिकारिक सूत्रों की माने तो नये साल में आये वाले मेहमानों के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। टाइग्रेस की गर्दन पर लगा जीपीएस कलर से टाइग्रेस की हर मुवमेंट पर निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि एक-एक पखवाड़ा से टाइग्रेस का मुवमेंट रामगढ़़ महल के आस पास नदी की तलहटी में देखा जा रहा है। जहां उसको आसानी से भोजन मिल पा रहा है। जबकी टाइगर अब टाइग्रेस को छोड़ कर अन्यत्र विचरण कर रहा है। सेंचुरी में टाइगर को भोजन में किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो इसके लिए 150 सांभर फिर छोड़े जाने है। जो संभवतण नये वर्ष के प्रथम सप्ताह में छोड़़ा जायेगा। इसके अलावा टाइगर के लिए दूसरी टाइग्रेस की व्यवस्था भी की जा रही है। वह भी नये वर्ष के प्रथम सप्ताह में ही संभव हो पायेगा। विदेशी पावणो से गुलजार होगा क्षेत्र- टाइगर रिजर्व से बूंदी के पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगा ही साथ ही आसपास के इलाकों में भी तरह-तरह के रोजगार के अवसर खुलेंगे। टाइगर रिर्जव क्षेत्र में चीतल सियार सांभर नीलगाय बालू हाईना जंगली बिल्लियों के अलावा सांप लंगूर मगरमच्छ समेत तकरीबन 500 तरह के जंगली जीव पाए जाते हैं। रामगढ़ का प्राकृतिक वातावरण और यहां बहने वाली मेज नदी न सिर्फ इस जगह की खूबसूरती बढ़ाने का काम करती है बल्कि जानवरों के भी रहने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। वन्यजीव विशेषज्ञों ने बताया कि विषधारी टाइगर रिजर्व में कई किश्म के फूल हैं। यह अनुसंधान और शिक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।