बालाजी मंदिर के पुजारी चेतनगिरी के पास 8 फरवरी को दिल्ली के नजफगढ़ निवासी साधु कुलदीप ब्राह्मण आकर ठहरा था। 12 फरवरी को उसकी तबीयत बिगड़ने लगी, तो पुजारी उसे इलाज के लिए बिसाऊ और फिर झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल ले गया।राजस्थान के झुंझुनूं जिले के धनूरी थाना क्षेत्र के कांट गांव में एक साधु की मौत के बाद अजीबोगरीब स्थिति बन गई। बीमार साधु का इलाज कराने के लिए पुजारी ने अपना आधार कार्ड दिया था, लेकिन जब साधु की मौत हो गई तो अस्पताल ने उसी पुजारी के नाम पर दर्ज शव उसे सौंप दिया।मामला धनूरी थाना इलाके के कांट गांव का है। गांव के बालाजी मंदिर के पुजारी चतरूराम मीणा उर्फ चेतन गिरी के पास करीब 15 दिन पहले 7 फरवरी को उसका परिचित एक साधु आकर रुका था। वह नजफगढ़ (दिल्ली) निवासी कुलदीप था। उसकी 12 फरवरी को तबीयत बिगड़ गई, तब चेतनगिरी ने उसे बिसाऊ में डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।
वहीं, तब वह उसे लेकर झुंझुनू के बीडीके अस्पताल पहुंचा। यहां पर आउटडोर में रजिस्ट्रेशन के लिए बीमार व्यक्ति का आधार कार्ड मांगा। चेतनगिरी के पास साधु कुलदीप की पहचान का कोई दस्तावेज नहीं था, इसलिए उसने अपना आधार कार्ड देकर अपने नाम से ही रजिस्ट्रेशन करवा दिया। 22 फरवरी को बीडीके अस्पताल में उसकी तबीयत ज्यादा खराब हुई तो डॉक्टरों ने उसे जयपुर एसएमएस के लिए रेफर कर दिया, जहां उसी रात इलाज के दौरान साधु की मौत हो गई।

वहां से वह शव लेकर अपने गांव बिरमी आ गया। यहां अंतिम संस्कार करना चाहा तो ग्रामीणों ने विरोध जताया। वहीं, पुलिस ने उसके दस्तावेज मांगे तो पता चला कि रिकॉर्ड में चतरू का निधन हो गया, जबकि वह तो जिंदा है। हालांकि बाद में मृतक की शिनाख्त होने पर उसके दस्तावेज मंगवाकर पोस्टमार्टम किया तब पुजारी ने राहत की सांस ली।