जयपुर । राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। कटारिया को राज्यपाल बनाए जाने के बाद अब विधानसभा को नया नेता प्रतिपक्ष मिलेगा। इस दौड़ में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का नाम भी चर्चा में हैं। दलित नेता के तौर पर जोगेश्वर गर्ग और मदन दिलावर का नाम भी चर्चा में हैं। अन्य प्रमुख नेताओं में कालीचरण सराफ और नरपत सिंह राजवी भी शामिल हैं। कटारिया को फ्लोर मैनेजमेंट में महारत हासिल थी। कटारिया सुंदर सिंह भंडारी की अंगुली पकड़कर सियासत में आगे बढ़े। वहां राजस्थान में कई सरकारों में मंत्री रहे हैं। भैरोसिंह शेखावत सरकार में मंत्री रहे इसके साथ ही राजे सरकारों में गृह मंत्री सहित विभिन्न पदों पर रहे।
उल्लेखनीय है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्व सीएम विजय रूपाणी सहित कई दिग्गज नेताओं के टिकट काट दिए थे। भाजपा को अपने नए प्रयोग का चुनाव में फायदा भी मिला। गुजरात ने बीजेपी में बंपर सीट हासिल की थी। भाजपा आलाकमान ने कटारिया को असम का राज्यपाल बनाकर गुजरात प्रयोग के सियासी संकेत दिए है। भाजापा यदि गुजरात वाला प्रयोग राजस्थान में करती है, तब वसुंधरा राजे सहित 70 प्लस नेताओं के टिकट खतरे में पड़ सकते हैं। हालांकि, पार्टी आलाकमान के लिए वसुंधरा राजे की अनदेखी करना आसान नहीं होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है, कि आलाकमान गुजरात वाला प्रयोग राजस्थान में करता है, तब दांव उलटा पड़ सकता है। राजस्थान और गुजरात की राजनीतिक स्थिति अलग है। राजे का सियासी कद रूपाणी से काफी बड़ा है। इसके बाद वसुंधरा राजे की अनदेखी पार्टी आलाकमान नहीं करना चाहेगा। 
बता दें भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र 70 साल बताकर सियासी गलियारों में नई बहस छेड़ी थी। उन्होंने 70 साल में रिटायरमेंट की मजबूती से पैरवी करते हुए चुनाव में नई लीडरशिप खड़ी करने की बात कही। उन्होंने कहा मैंने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा था कि 70 प्लस नेताओं को सयांस ले लेना चाहिए। पूनिया का इशारा वसुंधरा राजे की तरफ माना गया था। हालांकि, सतीश पूनिया ने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है। पूनियां के फॉर्मूले पर केंद्र ने काम करना शुरू कर दिया है। कटारिया को राज्यपाल बनाने से इसतरह संकेत मिले है। पूर्व सीएम राजे, पूर्व मंत्री कालीचरण सर्राफ, वासुदेव देवनानी, नरपत सिंह राजवी के टिकटों पर संकट खड़ा हो सकता है।