चित्रकूट । चित्रकूट में पितृ विसर्जनी अमावस्या मेले में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी नदी किनारे मुंडन के बाद स्नान कर अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर पिंडदान किया। चित्रकूट में वैसे तो हर अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है लेकिन पितृ विसर्जनी अमावस्या होने से लाखों लोग चित्रकूट पहुंचे।
चित्रकूट में पितृ विसर्जनी अमावस्या का विशेष ही महत्व  है। मान्यता है कि भगवान श्री राम जब वनवास के दौरान चित्रकूट आए थे तो उन्हें अपने पिता दशरथ जी के स्वर्गवास की खबर यहीं मिली थी और चित्रकूट से ही उन्होंने मां मंदाकिनी नदी किनारे अपने पिता के मोक्ष के लिए तर्पण कर पिंडदान किया था तब से यह परंपरा शुरू हो गयी थी। इसीलिए हजारों लाखों की तादाद में श्रद्धालु चित्रकूट पहुंच कर अपने पितरों का यहां तर्पण करते हैं। चित्रकूट भरत मंदिर के दिव्य जीवनदास जी महाराज ने बताया कि इस परंपरा की शुरुआत प्रभु श्रीराम से हुई है। क्योंकि यहां भगवान श्रीराम ने खुद अपने पिता का श्राद्ध और पिंडदान का कार्य किया था इसलिए यहां का विशेष महत्व है। श्रद्धालु अपने पितरों का पिंडदान और श्राद्ध कार्य करने के लिए चित्रकूट आते हैं। उसी परंपरा का अनुसरण करते हुए यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध, पिंडदान करने के लिए आते हैं।