जयपुर। राजस्थान के बड़े और मंझले बांधों की ताजा़ रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ज्यादातर बांधों के हालात चिंताजनक हैं। बांधों में पानी घट रहा है और इस बार की गर्मी पानी के हालात पर बहुत भारी पड़ी है। चिंताजनक बात ये है कि प्रदेश में 67 फीसदी बांधों में 20 प्रतिशत से भी कम पानी बचा है। प्रदेश के 278 बांधों में से इनकी तादाद 186 है। इन बांधों से सिंचार्द से लेकर जलापूर्ति को संकट पैदा होने वाला है। अगर मानसून की जल्दी महरबानी के बाद पानी आवक शुरू न हुई तो हालात बहुत मुश्किल होंगे। प्रदेश सबसे अहम बांध बीसलपुर में करीब 22 परसेंट पानी बचा है। जयपुर, टोंक व अजमेर की एक करोड़ से ज्यादा आबादी को पेयजल सप्लाई करने वाली बीसलपुर बांध में प्री मानसून में 12 सेंटीमीटर पानी पहुंचा था, लेकिन बांध को ज्यादा बारिश और ज्यादा आवक की जरूरत है। बांध का जल स्तर अब 309.14 आरएल मीटर रह गया है और यहां से जलापूर्ति के लिए रोजाना 9341 लाख लीटर पानी लिया जा रहा है।
  प्रदेश की राजधानी जयपुर को ही जयपुर को बांध से रोजाना 5923 लाख लीटर पानी मिल रहा है। प्रदेश में पाली की पेयजल सप्लाई से जुड़ा जवाई बांध काफी पहले ही दम तोड़ चुका है। प्रदेश के ज्यादातर छोटे व मंझले बांध के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण होने के कारण बारिश का पानी नहीं पहुंच पाता है, ऐसे वहां पानी नहीं होने से वहां न तो जलापूर्ति होती है न ही पानी की आवक, बल्की ये बांध वक्त से पहले सूख जाते हैं। जबकि हर साल जल संसाधन विभाग बांध के मेंटीनेंस व बहाव क्षेत्र की सफाई के मद में करोड़ों रुपए खर्च करता है। उसके बावजूद इन बांधों में पानी क्यों नहीं आता ये अपने आप में बड़ा सवाल है।
  इन में से 176 पूरी तरह से बांध सूख चुके हैं। कम बारिश होने के कारण इनमें से 56 बांधों में अब तक ही पानी नहीं पहुंचा था, वहीं 4.25 एमक्यूएम से कम भराव क्षमता वाले 449 बांधों में केवल 4.27 प्रतिशत पानी ही है। इनमें से भी 400 बांध सूख चुके हैं। जयपुर के रामगढ़ बांध की तरह प्रदेश के 20 फसदी बांध अतिक्रमण की मार झेल रहे हैं। ये बांध अतिक्रमण के कारण हरसाल सूखे रह जाते हैं। बहाव क्षेत्र में पक्के व कच्चे निर्माण व अतिक्रमण के कारण प्रदेश के ज्यादातर छोटे बांधों में बारिश का पानी नहीं पहुंचा। प्रदेश में 4.25 एमक्यूएम से कम भराव क्षमता के 464 बांध हैं, लेकिन इन बांधों में केवल 29.24 फीसदी पानी ही आया है। यानी बांधों का 70 फीसदी हिस्सा खाली है। इसमें से 40 फीसदी बांध तो सूखे ही हैं, जबकि गांव वाले इन बांधों के संरक्षण को लेकर जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार कर चुके हैं।