समस्याएं सभी के जीवन में आती-जाती रहती हैं, बस फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ लोगों के जीवन में ज्यादा समस्याएं रहती हैं और कुछ के जीवन में कम। समस्याओं का सामना करते हुए जो लोग आगे बढ़ते हैं, उन्हें सफलता जरूर मिलती है। एक लोक कथा के मुताबिक, ये बात एक संत ने एक दुखी व्यक्ति को समझाई थी, पढ़िए दुखों को दूर करने का सूत्र बताने वाली कथा...

एक व्यक्ति बहुत दुखी था। उसके पिता की मृत्यु हो चुकी थी, पूरे घर की जिम्मेदारी उस पर आ गई थी। बहुत मेहनत करने के बाद भी उसकी समस्याएं खत्म नहीं हो रही थीं। वह निराश रहने लगा था।

एक दिन उस व्यक्ति ने एक विद्वान संत मिले। व्यक्ति ने संत से कहा कि मैं बहुत परेशान हो गया हूं। मुझे अपना शिष्य बना लीजिए।

संत ने कहा कि ठीक है, तुम शिष्य बन जाना, लेकिन पहले अपनी परेशानी बताओ।

शिष्य ने कहा कि गुरु जी मेरे जीवन में एक समस्या खत्म नहीं होती है और उससे पहले ही दूसरी सामने आ जाती है। इस कारण मैं बहुत दुखी हूं। किसी भी काम में सफलता नहीं मिल पाती है, घर की भी समस्याएं बनी रहती हैं।

गुरु ने कहा कि तुम मेरे साथ चलो।

वह व्यक्ति संत के साथ चल दिया। कुछ देर में संत और शिष्य पास की नदी के किनारे पहुंच गए। किनारे पर पहुंचकर गुरु ने कहा कि हमें ये नदी पार करनी है। इतना कहकर संत किनारे पर ही खड़े हो गए। शिष्य भी गुरु के साथ खड़ा रहा।

कुछ देर बाद शिष्य ने कहा कि हमें नदी पार करनी है तो हम यहां क्यों खड़े हैं?

गुरु ने कहा कि हम इस नदी के सूखने का इंतजार कर रहे हैं, जब ये सूख जाएगी, हम इसे आसानी से पार कर लेंगे।

ये बात सुनकर शिष्य बहुत हैरान हो गया। वह बोला कि गुरु जी ये कैसी बात कर रहे हैं? नदी का पानी कैसे और कब सूखेगा। हमें नदी को इसी समय पार करनी होगी।

संत की सीख

संत ने कहा कि मैं तुम्हें यही बात समझाना चाहता हूं। जीवन में भी समस्याएं आती-जाती रहेंगी। हमें सकारात्मक रहना चाहिए। निराश होकर रुकना नहीं चाहिए, लगातार आगे बढ़ते रहना चाहिए। तभी जीवन में कुछ उल्लेखनीय काम हो पाएंगे। आगे बढ़ते रहेंगे तो समस्याओं के हल भी मिलते जाएंगे। ठहर जाएंगे तो एक भी बाधा पार नहीं होगी और निराशा बढ़ने लगेगी।