भोपाल ।    देशभर के वन अधिकारियों- कर्मचारियों के बीच चर्चा का विषय बना मध्य प्रदेश का फारेस्ट फायर कंट्रोल माडल अब अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा। इसे लेकर कवायद शुरू हो गई है। पिछले महीने केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने भोपाल में विभागीय कार्यक्रम में इसकी सराहना करते हुए इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की बात कही थी। इसके बाद प्रदेश के वन विभाग ने इसकी जानकारी केंद्र सरकार से साझा की है।

आग लगने पर ऐसे काम करता है माडल

इस माडल का छत्तीसगढ़ ने पिछले साल अपने यहां उपयोग किया। वहां भी जंगल में आग लगने की घटनाओं में कमी देखी गई। इस माडल में उपग्रह (सेटेलाइट) से प्राप्त चित्रों का विश्लेषण कर आग कब और कहां ज्यादा लगती है, इसका अध्ययन किया गया। इसके निष्कर्षों के आधार पर वर्ष 2016 में बने फारेस्ट फायर कम्पेंडियम को और प्रभावी बनाया गया।

इसके तहत आग लगने की सूचना शीघ्रता से मैदानी अमले और लोगों तक पहुंचाने के लिए सिंपली फायर सिस्टम विकसित किया गया। इसमें सेटेलाइट इमेज को एप पर उपलब्ध कराया जाता है। इसमें स्थान और आग के दायरे की सटीक जानकारी होती है। एप की मदद से आग बुझाने के लिए वन अमला घटनास्थल तक शीघ्रता से पहुंचता है और इस पर नियंत्रण कर लिया जाता है।

जंगल में आग लगने की घटनाएं हुईं नियंत्रित

इस माडल के उपयोग से जंगल में आग लगने की घटनाएं नियंत्रित हुई हैं। यही नहीं, जहां आग लगने की घटनाएं ज्यादा सामने आईं, उनके कारण तलाशे गए। उन इलाकों में अगली बार अतिरिक्त वन अमले की तैनाती करने से अच्छे परिणाम मिले।

आग लगने की घटनाओं में कमी वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 में मध्य प्रदेश के जंगल में 54,734 स्थानों पर आग लगने की घटनाएं दर्ज की गई थीं। वर्ष 2021-22 में ये घटकर 34,559 तक पहुंच गईं। वर्ष 2022-23 में इनमें और कमी हुई और इनकी संख्या 16,647 रही।

पशुपालन, पंचायत और स्कूल शिक्षा विभाग के अमले की भी ली मदद

आग बुझाने में पशुपालन, स्कूल शिक्षा और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अमले का भी सहयोग लिया गया। जहां खेतों में पराली (नरवाई) जलाने से आग जंगल में फैली वहां इस पर रोकथाम के लिए कलेक्टरों को सख्ती करने पत्र लिखा गया। विभाग के पीसीसीएफ (संरक्षण) एचयू खान के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए गए।

घटनाओं की आनलाइन मानिटरिंग

वन विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया और वन बल प्रमुख आरके गुप्ता ने आग लगने की घटनाओं की आनलाइन मानिटरिंग की। हर साल 15 फरवरी से 15 जून तक आग लगने की घटनाएं अधिक होती हैं इसलिए इसी समय निगरानी अधिक की जाती थी। ठंड के मौसम में भी 15 हजार से अधिक घटनाएं सामने आईं इसलिए अक्टूबर से मार्च तक भी आग लगने की घटनाओं पर निगरानी रखी गई। सिंपली फायर सिस्टम के सहयोग से नियंत्रण पाया गया।