बिलासपुर ।  जिले की एकमात्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट चतुष्कोणीय मुकाबले में फंस गई है। भाजपा, कांग्रेस, बसपा और छजका चारो पार्टी के प्रत्याशी दमदार है। हालांकि राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशी स्वाभाविक बढ़त बनाए हुए है। बसपा का बूढ़ा शेर और छजका प्रत्याशी चांदनी भारद्वाज किसे नुकसान पहुंचा रहे है इसको लेकर क्षेत्र में जबरदस्त चर्चा है। ऐसे में कौन जीतेगा और कौन हारेगा स्पष्ट रूप से अनुमान लगाना मुश्किल है।
मस्तूरी विधानसभा में चुनावी मुकाबला रोचक मुकाम में पहुंच गया है। यहां भाजपा की ओर से डॉ कृष्णमूर्ति बांधी प्रत्याशी प्रत्याशी है तो कांग्रेस ने दिलीप लहरिया को चुनाव मैदान में उतारा है। बांधी वर्तमान विधायक है और पांच साल की उपलब्धियों को लेकर जनता से वोट मांग रहे है। जबकि दिलीप लहरिया को भूपेश सरकार के काम काज लाभ मिल रहा है। इसके अलावा सरल स्वभाव के कारण लोगों के बीच उनकी छवि भी बेहतर है। बसपा प्रत्याशी दाऊ राम रत्नाकर अपनी पामगढ़ की परंपरागत सीट को छोड़कर मस्तूरी से चुनाव लड़ रहे है। लेकिन बसपा का ये शेर अब बूढ़ा हो चुका है। लिहाजा उनको लेकर मतदाता बहुत ज्यादा गंभीर नजर नहीं आ रहे है। भाजपा से बागी होकर छजका से चुनाव लड़ रही चांदनी भारद्वाज पर सबकी नजर है। इस क्षेत्र से एक बार जनपद सदस्य और अभी जिला पंचायत सदस्य है। यही कारण है कि क्षेत्र में चर्चा है कि वह भाजपा को कितना नुकसान पहुंचा सकती है। फिलहाल इस क्षेत्र की 3 लाख 5 हजार मतदाता कल अपना विधायक चुनने के लिए मतदान करेंगे। जिसमें से 1 लाख 54 हजार 327 पुरुष और 1 लाख 50 हजार 660 मतदाता महिला है।
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल वोटरों की संख्या 2 लाख 39 हजार 819 थी। यहां से कुल 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इनमें भाजपा के कृष्णमूर्ति बांधी को 67 हजार 950 वोट मिले थे। जबकि बसपा के जयेन्द्र पाटले को 53 हजार 843 वोट मिले थे। इसके बाद कांग्रेस के दिलीप लहरिया को 53 हजार 620 मत मिले थे। पिछले चुनाव में दिलीप लहरिया तीसरे नंबर पर थे। हालांकि पिछले चुनाव में स्व अजीत जोगी ने था कांग्रेस प्रत्याशी को हराने में पूरा जोर लगा दिया था और सफल भी हो गए थे। लेकिन इस बार के चुनाव जोगी का जादू खत्म हो चुका है। हालांकि उनका पुत्र अमित जोगी यहां चांदनी भारद्वाज को खड़ा करके समीकरण बिगाडऩे में लगे हुए है।
मस्तुरी विधानसभा में कुल 15 विधानसभा चुनाव हुए हैं। ये 15 चुनाव जीतने वालों में 10 नेताओं के नाम शामिल हैं। इसमें कांग्रेस के बंशीलाल घृतलहरे और भाजपा के डॉ कृष्णमूर्ति बांधी 3-3 बार चुनाव जीत चुके है। बंशीलाल ने 1977, 1980 और 1985 में लगातार तीन चुनाव जीता था। इसी तरह डॉ बांधी ने साल 2003, 2008 और 2018 का चुनाव जीता। भाजपा के मदन सिंह 1990 और 1998 में चुनाव जीत चुके हैं। कांग्रेस के ही गणेश राम अनंत 1957 और 1962 के चुनाव में जीत दर्ज कर विधायक बनें। इसी तरह कांग्रेस के जी प्रसाद ने 1967 और 1972 का चुनाव जीता।