लोगों के फायदे के लिए सरकार की ओर से कई स्कीम चलाई जा रही हैं. इन स्कीम के जरिए लोगों के हित के लिए कदम उठाया जाता है. वहीं, लोग इन स्कीम के जरिए सेविंग और इंवेस्टमेंट भी कर सकते हैं. ऐसी ही एक स्कीम पब्लिक प्रोविडेंट फंड है. इस स्कीम के जरिए लोग सेविंग और इंवेस्टमेंट के साथ ही टैक्स छूट का बेनेफिट भी ले सकते हैं. हालांकि, इस स्कीम में अगर पैसा लगा रखा है तो एक बात लोगों को ध्यान में रखनी चाहिए, वरना दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. आइए जानते हैं इसके बारे में...

पीपीएफ अकाउंट

पीपीएफ स्कीम एक लॉन्ग टर्म की स्कीम है. इस स्कीम में 15 साल के बाद मैच्योरिटी बेनेफिट मिलता है. ऐसे में लोगों को हर साल इसमें पैसा इंवेस्ट करना पड़ता है. पीपीएफ अकाउंट में किए गए इंवेस्टमेंट पर फिलहाल 7.1 फीसदी की दर से ब्याज दिया जा रहा है. हालांकि, अगर कोई शख्स इस स्कीम में किसी वित्त वर्ष में पैसा इंवेस्ट नहीं करता है तो उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और पीपीएफ अकाउंट डोरमेंट हो सकता है.

पब्लिक प्रोविडेंट फंड

दरअसल, पीपीएफ स्कीम में इंवेस्टमेंट करने वाले लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए पीपीएफ स्कीम में एक वित्त वर्ष में ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपये का इंवेस्टमेंट किया जा सकता है. हालांकि लोगों को मिनिमम 500 रुपये का इंवेस्टमेंट एक वित्त वर्ष में पीपीएफ अकाउंट में करना जरूरी है. वहीं आईटीआर भरते वक्त पुराने टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स बेनेफिट भी इस स्कीम के जरिए उठाया जा सकता है.

पीपीएफ

अगर कोई शख्स किसी वित्त वर्ष में 500 रुपये का इंवेस्टमेंट भी पीपीएफ अकाउंट में नहीं करता है तो लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि इसके कारण अकाउंट डोरमेंट हो जाता है और पीपीएफ अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर भी असर पड़ता है. साथ ही अगर डोरमेंट अकाउंट को फिर से चालू करवाने के लिए फीस का भुगतान भी करना पड़ता है. ऐसे में लोगों को हर वित्त वर्ष में मिनिमम इंवेस्टमेंट अमाउंट जरूर पीपीएफ अकाउंट में जमा करना चाहिए.