सीहोर शहर की घनी आबादी के बीच स्टेशन रोड पर स्थित मोतीबाबा का प्राचीन मंदिर सालों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हआ हैं। शहर के रेलवे स्टेशन मार्ग पर करीब 500 वर्ष पुराने मोती बाबा के मंदिर का उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर जीर्णोद्धार होने वाला है। इसके लिए अब तक 75 से अधिक जीर्ण-शीर्ण हो चुके मंदिरों का जीर्णोद्धार करने वाले आचार्य पंडित दुर्गा प्रसाद कटारे के मार्गदर्शन में जीर्णोंद्धार किया जाएगा। 

पंडित कटारे बाबा ने बताया कि मंदिर के पुजारी पंडा जी की चार पीढ़ी इस मंदिर की पूजा करती आ रही है। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि शहर में देश का नाम रोशन करने वाले दो मंदिर है जिसमें प्राचीन गणेश मंदिर और मोती बाबा मंदिर है। जहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस मंदिर का सभी के सहयोग से आगामी दिनों में जीर्णोद्धार किया जाएगा। 

इंजीनियर दिनेश प्रजापति ने बताया कि पंडित कटारे बाबा और समाजसेवी रुद्रप्रकाश राठौर की प्रेरणा से वह अब तक पांच मंदिरों का डिजाइन बनाने में नि:शुल्क सेवा दे चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध मोती बाबा का मंदिर टू-डी और थ्री-डी डिजाइन में करीब 2000 हजार स्कवायर फीट में किया जाएगा। करीब 50 लाख की लागत से बनाए जाने वाले इस भव्य मंदिर को महाकाल की तर्ज पर निर्मित किया जाएगा। मंदिर में गर्भ गृह का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन के साथ बैठने आदि की सुविधा प्रदान की जाएगी। 

इस मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु एक मुट्ठी गेहूं और कोरा कागज लेकर बीमार परिजनों के इलाज के लिए पहुंचते हैं। घंटों इंतजार करने के बाद श्रद्धालु अपनी पीड़ा बाबा के दरबार में व्यक्त कर पाते हैं, वहां से उन्हें दवा के रूप मे पंडाजी द्वारा भभूति  देते हुए आवश्यक दिशा निर्देश देते हैं। विशेषकर टायडफाइड से पीड़ित मरीजों को इस स्थान से पूरा उपचार मिलता है और श्रद्धालु श्रद्धा के साथ बाबा के सामने नतमस्तक होकर प्रसाद आदि अर्पित करते हैं। 

इस दरबार में पहुंचने वालों में ना केवल सीहोर जिले के लोग बल्कि आसपास के जिले जैसे भोपाल, रायसेन, विदिशा, राजगढ़, नर्मदापुरम, शाजापुर, देवास आदि के लोग भी सैकड़ों की तादाद में पहुंचते हैं। ये लोग अपनी बीमारी के बारे में पंडा बाबा को बताते हैं। पंडा बाबा उन्हें परहेज के बारे में बताते हैं और इलाज का तरीका भी बताते हैं।