भोपाल ।  चार दिनों तक मालवा-निमाड़ में भारी वर्षा कराने के बाद कमजोर हो चुका कम दबाव का क्षेत्र ऊपरी हवा के चक्रवात के रूप में परिवर्तित होकर राजस्थान और गुजरात की सीमा की ओर बढ़ गया है। ताकतवर मौसम प्रणाली के कमजोर होकर विदा हो जाने के बाद प्रदेश में भारी बार‍िश का सिलसिला थम गया है।

पश्चिमी जिलों में कुछ बारिश हुई

गुजरात और राजस्थान की सीमा से सटे पश्चिमी जिलों में कुछ बार‍िश हुई, जो लगातार कम होगी। इस बीच उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी में सोमवार को नई मौसम प्रणाली हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात के रूप में तैयार हो चुकी है।

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि आगामी 48 घंटों में यह कम दबाव के क्षेत्र में बदलकर आगे बढ़ेगी। प्रदेश के लिए यह पिछली मौसम प्रणाली जितनी प्रभावी तो नहीं होगी, लेकिन अगले एक से दो दिनों से पूर्वी मध्य प्रदेश और इसके बाद प्रदेश के अन्य हिस्सों में इसका असर दिखना शुरू हो जाएगा।

यह रही बारिश की स्थिति

प्रदेश में रविवार सुबह 8.30 बजे से सोमवार सुबह 8.30 बजे के बीच रतलाम में 40 मिमी, धार में 18.6, उज्जैन में 14, इंदौर में 7.7 तो गुना में 6.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई। इसके अतिरिक्त शिवपुरी, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा और सीधी में एक से तीन मिमी वर्षा दर्ज की गई।

इसके बाद सोमवार सुबह से इसमें और कमी आई और सुबह 8.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक खरगोन में 10 मिमी, रतलाम में तीन और बैतूल में दो मिमी वर्षा ही दर्ज की गई। मौसम विज्ञान के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि मानसून द्रोणिका उत्तरी मध्य प्रदेश से होकर जा रही है, यह नमी के लिए सकारात्मक स्थिति है। इस बीच नई प्रणाली का असर पूर्वी हिस्सों में मंगलवार रात से बुधवार के बीच दिखना शुरू हो जाएगा, जो बाकी हिस्सों में भी बढ़ेगा।

अक्टूबर में ही मानसून वापसी

इस वर्ष मानसून ने लंबा ब्रेक लिया और फिर सितंबर के दूसरे सप्ताह में जोरदार वापसी करके अच्छी वर्षा दी। विशेषकर पश्चिमी मध्य प्रदेश में भारी से अतिभारी वर्षा हुई, लेकिन अब मानसून वापसी का समय भी निकट आ रहा है।

मौसम विभाग के रिकार्ड के अनुसार अक्टूबर के पहले माह में प्रदेश से मानसून की वापसी शुरू हो जाती है। इस वर्ष कुछ समय आगे-पीछे हो सकता है, लेकिन मानसून वापसी अक्टूबर में हो जाएगी। प्रतिवर्ष राजस्थान से सितंबर से मानसून वापसी शुरू हो जाती है।