प्रयागराज। पानी में जीवाणु और रसायन की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए अब लखनऊ की प्रयोगशाला में प्रयागराज के पानी के नमूने नहीं भेजे जाएंगे। शहरियों की सुगमता के लिए खुसरोबाग में पानी की गुणवत्ता परखने के लिए तैयार की गई अत्याधुनिक प्रयोगशाला का उद्घाटन शुक्रवार को कर दिया गया। महापौर उमेशचंद्र गणेश केसरवानी ने फीता काटकर प्रयोगशाला का उद्घाटन किया।

प्रयोगशाला में पानी के 33 तरह के पैरामीटर की जांच आसानी से हो जाएगी। खुसरोबाग में इससे पहले पानी के 13 पैरामीटर की ही जांच हो पाती थी। अन्य की जांच राज्य स्वास्थ्य संस्थान अलीगंज लखनऊ में होती थी। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत खुसरोबाग में एक करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि से अत्याधुनिक प्रयोगशाला का निर्माण किया गया है। जलकल की ओर से दावा किया जा रहा है कि इस तरह की प्रयोगशाला उत्तर प्रदेश के किसी भी निकाय में अभी तक नहीं बनाई गई है।

महापौर उमेश चंद्र गणेश केसरवानी ने कहा कि संगम नगरी के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। जलकल के महाप्रबंधक कुमार गौरव ने बताया कि उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों से भी आने वाले पानी के नमूनों की जांच जल्द शुरू की जाएगी। इस दौरान जलकल के अधिशासी अभियंता, संघभूषण, लेखाधिकारी सुजीत कुमार, विनोद मिश्रा, शिवम मिश्रा आदि मौजूद रहे।

बैक्टीरिया युक्त पानी पिला रहे जल संस्थान

जल संस्थान स्मार्ट सिटी के लोगों को हानिकारक बैक्टीरिया युक्त पानी पिला रहा है। इससे दर्जनों मुहल्लों में लोगों को डायरिया हो रहा है। मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के आपदा प्रबंधन की टीम जगह-जगह जल स्टैंड पोस्ट से पानी लेकर उसका ओटी (आर्थो ट्रालीडिन) परीक्षण करा रही है तो नमूने जांच में फेल पाए जा रहे हैं। 11 जुलाई को 20 नमूनों में 11 और 14 जुलाई को छह स्थानों से लिए गए सभी नमूने जांच में निगेटिव पाए गए।

गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ने से मंडराया खतरा

इन दिनों गंगा और यमुना में जलस्तर बढ़ रहा है। इससे लोगों में जलजनित बीमारियों का खतरा हो गया है। आपदा प्रबंधन की टेक्निकल टीम प्रत्येक दिन सरकारी नल से पानी के नमूने लेकर लैब में उसकी जांच करा रही है। जोन-दो यानी मुट्ठीगंज, जोन आठ यानी झूंसी में लिए गए पानी के जांच नमूने फेल पाए गए। मुख्य चिकित्साधिकारी की तरफ से भेजे गए पत्र में चिंता जताई गई कि जल संस्थान द्वारा आम जनता को क्लोरीन मिले पानी देने में रुचि नहीं ली जा रही है।

मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आशू पांडेय ने कहा कि रैंडम चेकिंग कराई जाती है। आपदा प्रबंधन की टीम नमूनों को लैब भेजती रहती हैं। यह रूटीन प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि इन दिनों पानी में क्लोरीन न मिला तो बैक्टीरिया पनपने लगते हैं जो लोगों के शरीर में संक्रमण फैलाते हैं।