भोपाल, विद्युत वितरण कंपनियों का कहर जल्द ही बिजली उपभोक्ताओं पर टूटने वाला है।  वितरण कंपनियों के कर्मचारी जल्द ही घर-घर जाकर लोड की जांच करेंगे।  लोड यदि कम स्वीकृत है, और बिजली के उपकरण ज्यादा हैं। तो बिजली वितरण कंपनियां विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126 के अंतर्गत अतिरिक्त भार जोड़कर बढ़े हुए लोड की, अनुमानित खपत के आधार पर दोगुना से ज्यादा पेनल्टी लगाने की वसूली करेंगी। 
 विद्युत अधिनियम के अनुसार यदि लोड से अधिक बिजली के उपकरण घर अथवा व्यवसायिक संस्थान में पाए जाते हैं। बिजली कंपनी के कर्मचारी उसे अधिक लोड मानकर पेनाल्टी जुर्माना और पिछली तारीखों से बिलों की वसूली करने के लिए उपभोक्ताओं को धमकाते हैं। 
 जो कर्मचारी जांच के लिए जाते हैं, यदि उन्हें ले देकर मामला सुलटा लिया जाता है। तो बिना प्रकरण बनाए उनसे लोड बढ़ाने की एप्लीकेशन ले ली जाती है. जो रिश्वत नहीं देते हैं। उनके ऊपर हजारों रुपए की पेनल्टी और पिछली तारीखों से  बढ़ा हुआ  बिजली बिल उपभोक्ता पर ठोक दिया जाता है! 
 विद्युत वितरण कंपनियों का कहना है, कि लोड वृद्धि के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करके शुल्क जमा कर लोड बढ़ाया जा सकता है।उपभोक्ता यदि समय रहते अपना लोड नहीं बढ़ाते हैं। तो वह जुर्माने और पेनल्टी के लिए तैयार रहें।
 बिजली कनेक्शन लेते समय आपके घर में जितने बिजली के पॉइंट लगे हैं। उसके अनुसार लोड स्वीकृत होता है। आप उसमें उपकरण लगाएं या नहीं लगाएं। बिजली जलाए या नहीं जलाएं। विद्युत वितरण कंपनियां  न्यूनतम शुल्क लोड के अनुसार बिजली बिल में वसूल करती हैं। हर बिजली उपभोक्ता के परिसर  में मीटर लगे होते हैं। जितनी बिजली उनके यहां जलती है। उतने बिल का भुगतान करते हैं।इसके बाद भी तकनीकी आधार बनाकर कि आपने लोड कम स्वीकृत कराया है। आपके यहां बिजली के उपकरण या पॉइंट ज्यादा हैं। इस आधार पर ईमानदार बिजली उपभोक्ताओं से भी विद्युत वितरण कंपनियां जबरिया वसूली करती हैं। नियम और कानून की जानकारी आम उपभोक्ताओं को नहीं होती है। बिजली उपकरण यदि कोई लगाते हैं। तो उसके साथ ही लोड बढ़ाने की जिम्मेदारी उपभोक्ताओं पर डाली गई है।