प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते दिनों फ्रांस दौरे थे। यहां उन्हें फ्रांस के सर्वोच्च सम्मान 'लीजन ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया गया। दो दिवसीय दौरे पर पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की। इस दौरान पीएम मोदी ने मैक्रों को चंदन की लकड़ी से नक्काशी कर तैयार की गई रॉयल वीणा की कलाकृति भेंट की। ढाई फीट की ये रॉयल वीणा तानसेन के जीवन की कहानी को दर्शाती है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस रॉयल वीणा को जयपुर के मोहित जांगिड़ और उनके परिवार के सदस्यों ने मिलकर तैयार किया है। जांगिड़ परिवार चंदन की लकड़ी पर लघु नक्काशी के लिए जाना जाता है। कई पीढ़ियों से जांगिड़ परिवार ये काम करता आ रहा है। इस परिवार के कई कलाकारों को नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। 

रॉयल वीणा के जरिए बताई तानसेन की कहानी

पीएम मोदी ने राष्ट्रपति मैक्रों को जो रॉयल वीणा भेंट की है वह तानसेन के जीवन में घटी कहानियों को दर्शाती है। तानसेन संगीतकार के रूप में अपने कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं। रॉयल वीणा में की गई नक्काशी बैजू बावरा और तानसेन के बीच हुई प्रतिस्पर्धा की कहानी बताती है। जिसमें ये दोनों संगीतकार अपने संगीत से हिरणों को सम्मोहित करने का प्रयास करते हैं।  

वहीं, दूसरे हिस्सा तानसेन के धर्म बदलने की कहानी को बताया है। दरअसल, संगीतकार तानसेन ने अधिकांश युवा जीवन रीवा के राजा रामचंद्र सिंह के दरबार में बिताया। यहां से उनकी संगीत क्षमताओं और अध्ययन को बड़ी प्रसिद्धि मिली। इसी प्रसिद्धि के कारण तानसेन मुगल बादशाह अकबर की नजर में आए। इसके बाद अकबर ने राजा रामचंद्र के पास एक दूत भेजा और तानसेन से मुगल दरबार के संगीतकारों के साथ शामिल होने का अनुरोध किया। संगीत कला से प्रभावित होकर अकबर ने तानसेन से अपनी बेटी मेहरूनिसा की शादी की पेशकश कर दी। जिसके बाद तानसेन धर्म बदलकर मियां तानसेन हो गए। 

इसी तरह रॉयल वीणा के तीसरे हिससे में संगीतकार तानसेन अपने गुरु हरिदास के बगल में बैठे हुए नजर आ रहे हैं। हरिदास संगीत के एक प्रमुख गुरु थे। उन्हें स्वामी हरिदास भी का जाता था। वे शास्त्रीय संगीतकार होने के साथ-साथ आध्यात्मिक कवि भी थे।