सीकर। राजस्थान में सीकर के  नीमकाथाना के जिला अस्पताल में खून चढ़ाने के बाद तीन महिलाओं की तबीयत बिगड़ने और एक गर्भवती महिला की मौत होने के मामले में अब स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है। पहले ही दिन जांच में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई। विभाग को पता चला है कि बीते 15 दिन से इस ब्लड बैंक से संक्रमित खून सप्लाई किया जा रहा था। इस ब्लड बैंक से लिया खून चढ़ाने के बाद पहले भी अलग अलग समय में दो महिलाओं की मौत हुई थी। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया और परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया।
नीमकाथाना के कपिल अस्पताल में बिहारीपुर गांव निवासी गर्भवती मैना देवी को खून चढ़ाया गया। यह खून नीमकाथाना के सीता ब्लड बैंक से लाया गया था। खून चढ़ाते ही महिला को उल्टियां और दस्त होने लगे। थोड़ी ही देर में उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। महिला की गंभीर हालत को देखते हुए उसे जयपुर रेफर किया गया। जयपुर में उपचार के दौरान मैना देवी की मौत हो गई। 
मैना देवी के अलावा दो अन्य प्रसूताओं की भी इस ब्लड बैंक से लाया गया खून चढ़ाने के बाद तबीयत बिगड़ी थी। उन्हें भी जयपुर रेफर किया गया है। उनका जयपुर में इलाज चल रहा है। पहले यह माना जा रहा था कि गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाने से मौत हुई है, लेकिन अब बताया जा रहा है कि ब्लड ग्रुप सही था लेकिन वह संक्रमित था। महिला की मौत होने की खबर मिलते ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सीता ब्लड बैंक पहुंचे थे। उन्होंने प्राथमिक स्तर पर पूरे मामले की पड़ताल की। 
जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई थी। कमेटी ने ब्लड बैंक का रिकॉर्ड जब्त कर लिया है। सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के जयपुर जोन डायरेक्टर डॉ. नरोत्तम शर्मा नीमकाथाना पहुंचे। इसके अलावा ड्रग कंट्रोलर की टीम भी यहां आ गई। इस ब्लड बैंक से ब्लड यूनिट और किन मरीजों को चढ़ाया गई इसका रिकॉर्ड जुटाया गया है। साथ ही जिन मरीजों को इस ब्लड बैंक से खून यूनिट जारी की गई थी उनको ब्लड चढ़ाने से रोक दिया गया है। टीम की शुरआती जांच में पता चला है कि ब्लड बैंक से आया ब्लड ही संक्रमित था। 
दूसरी तरफ पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि इलाके माधोगढ़ की जुगली देवी की पिछले दिनों मौत हो गई थी। उसका निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। जुगली देवी को 8 मई को खून चढ़ाया गया था। तबीयत बिगड़ने पर परिजन उसे चौमू के बराला अस्पताल ले गए। जुगली को भी खून सीता ब्लड बैंक से जारी किया गया था। इसके साथ ही चौंकाने वाली यह जानकारी भी सामने आई कि ब्लड बैंक प्रबंधन ने मामले को दबाने का प्रयास भी किया था। इसलिए बैंक में रखे दो दर्जन यूनिट खून को नष्ट करवा दिया गया ताकि जांच में गड़बड़ी पकड़ में न आए। जांच में सामने आए तथ्यों से आशंका है कि इस बैंक से लिए गए खून का उपयोग करने वालों में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।
बता दें कि ब्लड बैंक सीधे तौर पर सरकार के ड्रग कंट्रोलर विभाग के अधीन आते हैं। सभी जिला मुख्यालयों पर एडिशनल ड्रग कंटोलर बैठते हैं। चूंकि नीमाकाथाना हाल ही में जिला बना है तो अभी यहां एडिशनल ड्रग कंटोलर की नियुक्ति नहीं हुई है। फिलहाल यह अपने पुराने जिले सीकर के एडिशनल ड्रग कंटोलर के अधीन है। ब्लड बैंक की नियमित जांच होनी चाहिए। स्टाफ की भी नियमित जांच जरुरी है। वहीं डोनर को फॉलो किया जाना चाहिए जिससे इस तरह के हादसे को रोका जा सके।