जयपुर । राज्य में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के मामलों को गंभीरता से लेते हुए पशुपालन विभाग ने प्रदेश के प्रत्येक जि़ले में ब्लॉक स्तरीय दलों का गठन किया है। संक्रमित क्षेत्र (इंफेक्टड जोन), निगरानी क्षेत्र (सर्विलेंस जोन) एवं मुक्त क्षेत्र (फ्री जोन) के आधार पर गठित इन दलों द्वारा संक्रमित एवं शूकर वंशीय पशुओं के विचरण स्थल पर पहुंच कर सर्वेक्षण कर रोग की रोकथाम एवं निदान के लिए हर संभव कार्यवाही की जा रही है। गठित दलों द्वारा संक्रमित एवं मृत शूकरों के सैंपल एकत्र कर  अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग की पुष्टि के लिए  राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, निषाद भोपाल भिजवाए जा रहे हैं। रोग की आक्रामकता एवं शूकर पशुपालकों के हितों  को ध्यान में रखते हुए पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़  ने रोग की रोकथाम के सम्बन्ध में दिशा निर्देश जारी किये हैं।
 इस सम्बंध ने विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ. राठौड़ ने बताया कि रोग के प्रति संवेदनशीलता को देखते हुए विभागीय अधिकारियों को अलर्ट जारी कर शूकर वंशीय पशुओं को इस रोग से बचाने एवं पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए प्रत्येक जि़ले के प्रभावित क्षेत्रों में रोग सर्वेक्षण, रोग निदान, प्रतिबंधित/मुक्त क्षेत्र चिन्हित कर ‘क्षेत्र विशिष्ट कार्यवाही’ निष्पादित की जायेगी। उन्होंने कहा कि  शूकर वंशीय संक्रमित पशुओं एवं संपर्क में आये अन्य शूकरों का वैज्ञानिक रीति से यूथेनाइज, क्षेत्र का विसंक्रमण, वेक्टर कण्ट्रोल, जैव कचरे, पशु आहार एवं अन्य कचरे आदि का निस्तारण किया जाएगा ताकि रोग पर नियंत्रण किया जा सके। वहीं जंगली शूकरों में रोग प्रकोप नियंत्रण के लिए वन विभाग एवं अन्य सम्बंधित विभागों के साथ सामंजस्य स्थापित कर कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि शूकर वंशीय पशुओं की असामान्य मृत्यु एवं अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि के सम्बन्ध में प्रभावित क्षेत्र के जिला प्रशासन, सम्बंधित ब्लॉक स्तरीय नोडल अधिकारी एवं स्थानीय निकाय व पंचायतों को अवगत करवा कर अपेक्षित सहयोग लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग पशुपालकों के हितों के लिए समर्पित है। किसी भी प्रकार की मदद विभागीय अधिकारियों से संपर्क कर ली जा सकती है। साथ ही पशुपालक भी पशुओं में असामान्य स्थिति होने पर विभाग के अधिकारियों से तुरंत संपर्क करें ताकि राज्य के पशुओं को समय रहते इस तरह के रोगों से निदान पहुंचाया जा सके।