टोंक में देवली के हनुमान नगर क्षेत्र के धुंवाला गांव में मंगलवार सुबह मिले नवजात के शव का पुलिस ने राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमॉर्टम कराया है। यह पोस्टमॉर्टम तीन सदस्यीय चिकित्सकों के दल ने किया है, जिसमें डॉ. गोपाल मीणा, डॉ. किशनलाल और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. संजू मीणा शामिल थीं। पोस्टमार्टम किए जाने के बाद इस बात की पुष्टि की गई कि यह शव मादा (बच्ची) का है।

पोस्टमॉर्टम दल के सदस्य डॉ. गोपालमीणा ने बताया कि यह शव मादा है, जिसका जन्म करीब 24 से 48 घंटे पहले होना सामने आया है। इसकी नाल में कोड क्लैंप भी लगा है। इससे यह जाहिर हो रहा है कि बच्चे का जन्म कहीं न कहीं स्वास्थ्य संस्थागत में हुआ है। उन्होंने बताया कि विसरा और फेफड़े का सैंपल लिया गया है, जिसकी जांच के बाद ही डीएनए का पता लग सकेगा। यदि पुलिस किसी संदिग्ध की पहचान करती है और उस संदिग्ध के डीएनए और मृत बच्ची के डीएनए का मिलान होता है, तो माता-पिता का खुलासा हो सकता है। लेकिन इसके लिए पुलिस को प्रयास करने होंगे।

राजकीय चिकित्सालय स्त्री रोग विशेषज्ञ ने बताया कि यह शव प्रीमेच्योर फीमेल चाइल्ड में आता है, जिसके शरीर के सभी अंग विकसित हैं। ताज्जुब की बात यह है कि जिस मां ने करीब आठ महीने तक इस जीव का पालन-पोषण किया। संभवत उसी ने यही दुष्कृत्य किया है।

पुलिस बता रही है भ्रूण

धुंवाला में मिले करीब आठ महीने के बच्ची के शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया। इसमें स्पष्ट रूप से शरीर के अंग विकसित पाए गए। इसके बावजूद हनुमान नगर पुलिस इसे भ्रूण बताती रही। थाना प्रभारी ने भी मीडिया को बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से भ्रूण निकाला गया है, जिसे उनकी मौजूदगी में पोस्टमॉर्टम कराकर दफनाने की प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है।

इसी तरह अस्पताल में मौजूद सहायक उप निरीक्षक भी इसे भ्रूण बता रहे हैं। जबकि करीब आठ महीने की बच्चे के सभी अंग विकसित थे। यहां स्पष्ट रूप से बाल, आंख, कान, नाक, हाथ और पैर दिखाई दे रहे हैं। जबकि पुलिस इसे भ्रूण बता रही है। निजी अस्पताल की एक स्त्री रोग विशेषज्ञ का कहना है कि तीन महीने से कम उम्र के गर्भ को ही भ्रूण कहा जाता है। जबकि इसके बाद शरीर के अंग विकसित होना शुरू हो जाते हैं।