छत्तीसगढ़ में एक बार फिर खरीफ की तरह रबी फसल के लिए रासायनिक खाद की किल्लत हो गई है। किसान रबी फसल के लिए यूरिया, पोटाश, सुपर फास्फेट, एनपीके आदि खादों के लिए सोसाइटियों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। अलबत्ता किसान मजबूरी में दुकानों से समिति से मिलने वाले रेट से तिगुना दाम पर खरीद रहे हैं, जबकि प्रदेश में इस वक्त रबी फसल यानी धान की बुआई 85 प्रतिशत से अधिक हो गई है। ऐसे में सोसाइटियों में पर्याप्त मात्रा में खाद और कई सोसाइटियों वितरण नहीं करने के कारण किसान काफी परेशान हैं। प्रदेश के 28 जिले में 2058 सोसाइटी हैं। इनमें 3,29,535 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता समितियों में है। इस साल रबी फसल के लिए 20,000 मीट्रिक टन का लक्ष्य है। वहीं एक अक्टूबर 2021 से अब तक कुल भंडारण 7748 मीट्रिक टन हो चुकी है, जिनमें वितरण 2047 मीट्रिक टन हुई है। अभी 5701 मीट्रिक टन भंडारण शेष है। कुल भंडारण 38.47 फीसद हुआ है। यह सोसायटी में मिलने वाली सभी खादों की स्थिति है।

प्रदेश में रबी फसल में रायपुर और दुर्ग संभाग में सबसे ज्यादा धान की बुआई करते है। इनमें धमतरी, बालोद, महासमुंद, बलौदाबाजार, दुर्ग, बेमेतरा, कवर्धा आदि जिला शामिल है। जहां शुरूआत में ही खाद की जरूरत पड़ती है। ऐन वक्त खाद मिलने से किसान आक्रोश में है। दूसरी ओर शासन शुरुआत में ही खाद का स्टाक करने को कहा गया है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण नहीं हो सका है। अब अधिकारियों का कहना है कि जहां-जहां कमी आ रही है वहां व्यवस्था की जा रही है।

भारतीय किसान संघ के महामंत्री नवीन शेष का कहना है कि शासन ने कई समितियों को खाद का स्टाक कर चुका है, लेकिन बांटने के लिए समिति प्रबंधक डिमांड नोटिस नहीं भेज रहे हैं। यही कारण है कि समितियों में खाद रहने के बावजूद किसानों को नहीं मिल रही है। कुल मिलाकर शासन और अधिकारी व्यापारियों को लाभ पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। वहीं किसान पारसनाथ साहू ने कहा कि यूरिया खाद सोसायटी में लगभग 266 बोरी में मिलती है, जबकि दुकानदार 600 रुपये में बेच रहे हैं। इसी तरह पोटाश 1000 रुपये होने के बाद भी लगभग 1,700 रुपये बिक रहा है। उन्होंने कहा कि अभी खाद की कमी के कारण किसान ठगे जैसा महसूस किया जा रहा है।