रायपुर। छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 12 साल से अधिक पुरानी 312 स्कूल बसें बिना रोक-टोक के सड़कों पर दौड़ रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन बसों पर पांच करोड़ का रोड टैक्स तक बकाया है।परिवहन विभाग न तो इन बसों का संचालन बंद करवा पा रहा है न ही टैक्स वसूल पा रहा है। इन बसों का पंजीयन स्कूल प्रबंधन ने भी रद नहीं कराया है।

30 जून तक सुनवाई का मौका, इसके बाद होगी सीज

पिछले दिनों पुलिस परेड ग्राउंड में स्कूल बसों की मैकेनिकल जांच शिविर में नहीं आने वाली बसों की जब परिवहन और यातायात पुलिस विभाग ने जानकारी खंगाली तब यह जानकारी सामने आई। अब परिवहन विभाग ने बकाया पांच करोड़ का रोड टैक्स वसूलने 312 स्कूल बसों के संचालकों को नोटिस जारी कर 30 जून तक बकाया टैक्स जमा करने का समय दिया है।

जारी नोटिस में केंद्रीय मोटरयान अधिनियम का हवाला देते हुए इनका उपयोग स्कूलों बसों के रूप में नहीं करने की चेतावनी भी दी गई है। निर्धारित अवधि में टैक्स जमा नहीं कराने पर भू राजस्व संहिता के तहत बसों के साथ ही अन्य चल-अचल संपत्तियों को सीज करने की चेतावनी दी गई है। विभाग ने इन बसों को यात्री बस के रूप में संचालित करने की भी सलाह शैक्षणिक संस्थानों को दी है।

परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पांच करोड़ से अधिक का बकाया रोड टैक्स जमा नहीं करने वाले 312 बस मालिकों और स्कूल प्रबंधन को नोटिस तामिल होने के बाद सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ रायपुर आरटीओ कार्यालय में 30 जून तक उपस्थिति दर्ज कराने कहा गया है। इसके बाद भी कार्यालय नहीं आने वाले बस मालिकों को टैक्स चोरी करने का दोषी मानते हुए एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।

पांच साल से जमा नहीं किया टैक्स

स्कूलों में चलाई जा रही 312 बसों का तीन से पांच साल का रोड टैक्स जमा नहीं किया गया है।प्रत्येक बस का औसतन 1.25 लाख रुपए से लेकर 2.50 लाख रुपए तक बकाया है।इन सभी की गणना करने के बाद प्रत्येक बस मालिक और स्कूल प्रबंधन को टैक्स जमा करने के सख्त निर्देश दिए गए है।30 जून तक टैक्स जमा नहीं करने पर बसों को सीज करने की कार्रवाई की जायेगी।

स्कूल बस का केवल 12 वर्ष तक संचालन

केंद्रीय मोटरयान अधिनियम के तहत बसों का संचालन स्कूल में केवल 12 वर्ष तक करने की अनुमति है।इसके बाद इसे यात्री बसों और अन्य निजी उपयोग में किया जा सकता है।वहीं यात्री बसों को अधिकतम 15 वर्ष तक चलाने की छूट है। निर्धारित अवधि के बाद फिटनेस जांच कराने और वाहन की स्थिति को देखते हुए विशेष परिस्थितियों में दो वर्ष तक की अनुमति दी जाती है।अधिकारियों के मुताबिक यात्री बसों का संचालन करने के लिए परमिट लेना अनिवार्य है,इसके बगैर संचालन करने पर जुर्माना का प्रावधान है।

सहायक परिवहन आयुक्त शैलाभ साहू ने कहा, 11 और 18 जून को स्कूल बसों के की जांच करने लगाए गए मैकेनिकल शिविर में जिले के 98 शैक्षणिक संस्थाओं की कुल 722 स्कूल बसें जांच के लिए आई थीं। शिविर में नहीं आने वाली बसों की जानकारी खंगालने पर 312 बसें पुराने निकलीं। कुछ बसों की लाइफ तो 40 साल हो गई।

उन बसों के संबंध में विभाग को कोई सूचना नहीं दी गई। ऐसे बसों पर पांच करोड़ का रोड टैक्स भी बकाया है।उनका पंजीयन भी रद नहीं कराया गया है। 30 जून तक बस मालिकों को बकाया टैक्स जमा करने के साथ सुनवाई करने नोटिस जारी किया गया है। इसके बाद बसों को जब्त करने की कार्रवाई करेंगे।

फैक्ट फाइल

-11 जून को 71 शैक्षणिक संस्थानों की 599 स्कूल बसे मैकेनिकल जांच शिविर में पहुंची,29 बसों में मिली थी खामियां 46 हजार जुर्माना वसूला।

-18 जून को 123 बसों की जांच हुई,सभी फिट पाई गई।

-722 स्कूल बसों की हो चुकी है जांच,1400 बसे जिले में रजिस्टर्ड।

-8 चालक-परिचालकों को बीपी,सुगर की शिकायत।

-312 बसे हो चुकी है काफी पुरानी।