नई दिल्ली । भारतीय बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एंजेल फंड्स के लिए नए नियम बनाने की संभावना जताई है। अब इनवेस्टर्स की चर्चा में है कि सेबी, एंजेल फंड्स में नए निवेशकों को भी शामिल करने की अनुमति दे सकता है। अब तक, इनवेस्टमेंट सिर्फ मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिए ही उपलब्ध था, लेकिन ऐसा हो सकता है कि हिंदू उत्तरी परिवार, फैमिली ट्रस्ट और एकल मालिकाना फर्म जैसे नए सेक्टरों को भी एंजेल फंड्स में जगह मिले। एंजेल फंड्स का मुख्य उद्देश्य स्टार्टअप्स में निवेश करना है और सेबी के इस कदम से इसमें नए निवेशकों के लिए अवसरों की वृद्धि हो सकती है। आईये, हम देखते हैं कि ये कानूनी कदम क्या संदेश देते हैं। सेबी द्वारा प्रस्तावित नियमों में छूटें और शर्तें समेटी गई हैं जो एंजेल फंड्स को आकर्षित बना सकती हैं। सेबी ने एंजेल फंड्स के लिए मुख्य प्रस्ताव दिए हैं - मिनिमम इन्वेस्टमेंट, कॉर्पस के मामूलीकरण, लॉक-इन पीरियडों की प्रतिबंध कम करना और विविधता की सीमा को हटाना। इससे एंजेल फंड्स और भी प्रोफेशनल और उपयुक्त बन सकते हैं, जो निवेशकों को भी नया और अच्छा अवसर प्रदान कर सकते हैं। यदि ये नए नियमन स्थापित हो जाते हैं, तो एंजेल फंड्स के लिए एक नया दौर आ सकता है। इन्वेस्टर्स को निवेश के लिए और अधिक रुचि लेने के लिए ऐसे सुधार करने से समाज को एक नया चेहरा देखने को मिलेगा। हमारी समस्याओं का समाधान केवल सरकारी कदमों से होना चाहिए, परन्तु इनेवेस्टर्स के लिए नियमन के इस नए चेहरे ने एक सकारात्मक संकेत दिया है कि हमारी मुसीबतों का समाधान सामाजिक उत्थान में भी समाहित हो सकता है। इसे जोड़कर, सेबी की इस नई सोच ने यह साबित किया है कि भारत समृद्धि की राह में एक कदम और आगे बढ़ रहा है। ये प्रस्ताव हमारे वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं और नए निवेशकों को बाजार में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। इससे न केवल अर्थव्यवस्था को उत्थान मिलेगा, बल्कि नए उद्यमी और निवेशकों को भी समर्थन मिलेगा। सेबी की इस पहल का समाधान हमारे देश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो एक अच्छे समृद्ध भविष्य की ओर हमें अग्रसर कर सकता है। सतीश मोरे/14नवंबर