इस्लामाबाद । पाकिस्तान में  मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ  ने तय समय से पहले नेशनल असेंबली (पाकिस्तानी संसद) को भंग करने का ऐलान किया है। शरबाज शरीफ ने  बुधवार को नेशनल असेंबली  भंग करने की सिफारिश और इसकी डिटेल राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के पास भेजने का ऐलान किया है।  पाकिस्तानी संसद का कार्यकाल 12 अगस्त को खत्म हो रहा है। इसके 3 दिन पहले पीएम शहबाज शरीफ ने संसद को भंग करने की बात की है। 
पिछले साल अप्रैल महीने में प्रधानमंत्री पद से इमरान खान की रुखस्ती के बाद 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में विपक्ष को 174 सदस्यों का समर्थन मिला था। संयुक्त विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बनाए गए थे। लेकिन पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन (पीएमएल-एन) पार्टी के नेता शहबाज शरीफ के साथ कई और पार्टियां भी थी, जिन्होंने इमरान को सत्ता से बेदखल करने के लिए मोर्चा खोला था। इस संयुक्त गठबंधन में पीएमएल-एन के साथ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी), मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पाकिस्तान), जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ), पीएमएल-क्यू और कई छोटी-मोटी पार्टियां शामिल हैं। 
शहबाज शरीफ सरकार का मौजूदा कार्यकाल इस साल 12 अगस्त को खत्म हो रहा है। लेकिन इससे ठीक तीन दिन पहले 9 अगस्त को नेशनल असेंबली भंग करने का ऐलान किया गया है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है टाइम लैग। पाकिस्तान के संविधान के तहत अगर नेशनल असेंबली अपना कार्यकाल पूरा कर लेती है, तो 60 दिनों के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है।।।। लेकिन अगर नेशनल असेंबली को समय से पहले भंग कर दिया जाता है तो सरकार को चुनाव कराने के लिए पूरे 90 दिन का समय मिल जाएगा। इसका साफ मतलब है कि सरकार को अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए ज्यादा समय मिलेगा। वह मौजूदा आर्थिक संकट से जूझते हुए 90 दिनों तक कुछ बेहतर स्थिति तक पहुंच सकती है। 
ऐसा करने से शहबाज सरकार को एक और फायदा है। 90 दिनों के भीतर पाकिस्तान सरकार को इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड से बेलआउट पैकेज की रकम भी मिलनी शुरू हो जाएगी। एक तरह से शहबाज सरकार जनता के बीच अपनी इमेज बेहतर करने में कुछ हद तक कामयाब भी हो जाएगी। 
पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल 52 के तहत सरकार के पांच साल पूरे होने पर नेशनल असेंबली को भंग करना होता है। इसे साधारण भाषा में चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत मान सकते हैं। वहीं, आर्टिकल 58 के अनुसार, अगर राष्ट्रपति पीएम की सिफारिश पर 48 घंटों के भीतर असेंबली भंग नहीं करते, तो इसे अपने आप भंग मान लिया जाता है। भंग होने के बाद नेशनल असेंबली सचिवालय नोटिफिकेशन जारी करता है। इसके बाद मौजूदा सरकार की विदाई हो जाती है और एक केयरटेकर सरकार को सत्ता ट्रांसफर की जाती है। 
केयरटेकर सरकार का एक प्राथमिक काम देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए अनुकूल माहौल बनाना है। केयरटेकर सरकार पर जिम्मेदारी होती है कि नियमित काम होते रहें। ये सरकार सुनिश्चित करती है कि संसद के विघटन और नई सरकार के शपथ ग्रहण के बीच के समय में पाकिस्तान में गतिरोध न हो।