भोपाल -  बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मामले में शिवराजसिंह चौहान की सरकार ने देशभर में पहला स्थान हासिल कर लिया है। चाहे बात कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े की हो या शिक्षक वर्ग-3 पेपर लीक का मामला हो, सभी में ये सरकार युवाओं को ठगने का काम कर रही है। बात यहीं नहीं रूकी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने तो अपने ही इलाके के दस लड़कों को कृषि विस्तारक अधिकारी परीक्षा में टॉप-10 में ला दिया।

ये बात मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने भोपाल कांग्रेस दफ्तर में हुई प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान कही। भूरिया ने बताया कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में पहले प्रतिभागियों को वेरीफाइ बताया और फिर जैसे ही उन्होंने प्रिंटआउट निकाला वो डिस-क्वालिफाइ हो गए। व्यापमं ने कई ऐसे कांड किए हैं, जिससे प्रदेश के युवाओं का भविष्य गर्त में चला गया। इस परीक्षा में भी वही हुआ। 2020 का रिजल्ट अब दिया। आठ हजार पदों के लिए भर्ती होना थी। तभी देवास और भोपाल के प्रतिभागियों ने डरते हुए ये जानकारी सोशल मीडिया पर डाली। डर था कि इस फर्जीवाड़े को उजागर करेंगे तो हत्या हो जाएगी। व्यापमं न तब बदला था और न अब बदला है। सरकारी नौकरी पाना प्रदेश में नामुमकिन सा हो गया, जिसके कारण युवा तेजी से पलायन कर रहे हैं। इंदौर जैसे शहर में टीसीएस, इंफोसिस के सपने दिखाते वक्त शिवराज मामा ने ये वादा किया था कि 80 फीसद कर्मचारी यहीं के होंगे। ये बात भी झूठी निकली। हमें पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल देखना और सीखना चाहिए, जिसमें वहां कोई भी कंपनी को अपने सौ फीसद कर्मचारी लोकल से ही लेना पड़ते हैं। ये ही कारण है कि मध्यप्रदेश में सबसे कम बेरोजगारी दर छिंदवाड़ा जिले की है। क्या शिवराज बुधनी के लिए ये बात कह सकते हैं। शिक्षक वर्ग-3 की परीक्षा का ठेका ऐसी कंपनी को सौंप दिया, जिसे केन्द्र सरकार ने ब्लैक लिस्टेड किया था। कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का खामियाजा अब प्रदेश का युवा उठा रहा है। मध्यप्रदेश व्यापमं 3 की ओर आगे बढ़ रहा है। सोशल मीडिया पर जो स्क्रीन शॉट के रूप में शिक्षक भर्ती-3 के पेपर और आंसर शीट वायरल हुई है, उसमें लक्ष्मणसिंह का नाम देखा जा सकता है। भूरिया ने आरोप लगाया है कि इस मामले को उजागर करने वाले केके मिश्रा और आनंद राय पर खुद मुख्यमंत्री के ओएसडी लक्ष्मणसिंहमरकाम ने एसटीएससी एग्रोसिटी एक्ट का झूठा मुकदमा दर्ज करवाया है। इससे साफ साबित ता है कि एक बार फिर मुख्यमंत्री के कार्यालय के तार इस नए व्यापमं फर्जीवाड़े की तीसरी किश्त से जुड़े हैं। पहले भी मुख्यमंत्री ओएसडी जयप्रकाश का नाम व्यापमं फर्जीवाड़े में आया था। अब मरकाम न लाख युवाओं के भविष्य से खेल गए हैं। मुख्यमंत्री पंचमढ़ी में आम के पेड़ के नीचे बैठे आरम फरमा हैं। वहीं दूसरी तरफ उनके नजदीकी लोग युवाओं के भविष्य पर बट्टा लगा रहे हैं। मैं कुछ सवाल छना चाहता हूं, जिसका जवाब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को देना होगा। लक्ष्मणसिंह के पास लीक र के स्क्रीन शॉट कहां से आए। जब फर्जीवाड़ा उजागर हो गया था तो लक्ष्मणसिंह का मोबाइल क्यों ब्त नहीं किया गया। अब तक वो कार्रवाई से क्यों बचे। साथ एसटीएससी एक्ट का दुरुपयोग कर नावाज उठाने वालों पर ही कार्रवाई कर दी गई।

सिर्फ सरकार ही नहीं, भाजपा का संगठन भी इस बंदरबाट में शामिल है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा कृषि विस्तारक अधिकारी परीक्षा के फर्जीवाड़े में सामने आया है। इस परीक्षा में चुने गए टॉप-10 के उम्मीदवारों के फोटो पहले से शर्मा के साथ वायरल हो चुके हैं। इसे संयोग कहें या फर्जीवाड़ा कि टॉप 10 उम्मीदवार एक ही जाति, एक ही क्षेत्र, एक ही कॉलेज के होने के साथ उनके अंक और परीक्षा में की गई गलतियां भी एक सी हैं। इसे गलती मानकर खुद सरकार ने परीक्षा निरस्त करवाई थी, लेकिन सवाल ये उठता है कि अब तक किसी जिम्मेदार अधिकारी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। जब भाजपा सरकार और संगठन दोनों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का मन बना चुके हैं तो कोई क्या कर सकता है।

बेरोजगारी का आलम ये है कि पंजीयक बेरोजगार प्रदेश में 35 लाख से ज्यादा है। असल में तो ये आंकड़ा 50 से 70 लाख के बीच होगा। सरकारी नौकरी का सपना भाजपा की इस भ्रष्टाचारी सरकार ने चूर-चूर कर दिया। मुख्यमंत्री के ओएसडी पेपर लीक करवाते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष औरों का हक छीनकर अपने लोगों में रेवड़ी बांटते हैं। पहले तो चार-चार साल भर्ती परीक्षाएं ही नहीं निकलती, निकलती है तो पेपर लीक जाता। जैसे-तैसे पूरी होती हैं तो नतीजे बदल जाते हैं। यही है शिवराज सरकार के प्रदेश के युवाओं को तोहफा- बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा।